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भारत का संविधान

भाग ६—राज्य—अनु॰ १९६—१९८

(५) कोई विधेयक जो किसी राज्य की विधान-सभा में लम्बित है, अथवा, जो विधान-सभा से पारित हो कर विधान-परिषद् में लम्बित है, विधान-सभा के विघटन पर व्यपगत हो जायेगा।

धन-विधेयकों से
अन्य विधेयकों
के बारे में
विधान-परिषद् की
शक्तियों का
निबन्धन
१९७. (१) यदि विधान-परिषद् वाले राज्य की विधान-सभा द्वारा किसी विधेयक के पारित हो जाने तथा विधान-परिषद् को पहुंचाये जाने के पश्चात्—

(क) परिषद् द्वारा विधेयक अस्वीकार कर दिया जाता है; अथवा
(ख) परिषद् के समक्ष विधेयक रखे जाने की तारीख से उस से विधेयक पारित हुए बिना तीन मास से अधिक समय व्यतीत हो जाता है; अथवा
(ग) परिषद् द्वारा विधेयक ऐसे संशोधनों सहित पारित होता है जिनसे सभा सहमत नहीं होती;

तो विधान-सभा विधेयक को, अपनी प्रक्रिया के विनियमन करने वाले नियमों के अधीन रह कर, उसी या किसी आगे आने वाले सत्र में ऐसे किन्हीं संशोधनों सहित या बिना, यदि कोई हों, जो विधान-परिषद् ने किये हैं, सुझायें हैं या स्वीकार किये हैं, पुनः पारित कर सकेगी तथा तब इस प्रकार पारित विधेयक को विधान-परिषद् को पंहुचा सकेगी।

(२) यदि विधान-सभा द्वारा विधेयक के इस प्रकार दोबारा पारित हो जाने तथा विधान-परिषद् को पहुंचाये जाने के पश्चात्—

(क) परिषद् द्वारा विधेयक अस्वीकार कर दिया जाता है, अथवा
(ख) परिषद् के समक्ष विधेयक रखे जाने की तारीख से, उस से विधेयक पारित हुए बिना एक मास से अधिक समय व्यतीत हो जाता है, अथवा
(ग) परिषद् द्वारा विधेयक ऐसे संशोधनों सहित पारित होता है जिन्हें सभा स्वीकार नहीं करती;

तो विधेयक राज्य के विधानमंडल के सदनों द्वारा उस रूप में पारित समझा जायेगा जिस में कि वह विधान-सभा द्वारा ऐसे संशोधनों सहित, यदि कोई हों, जो कि विधान-परिषद् द्वारा किये गये या सुझाये गये हों तथा विधान-सभा ने स्वीकार कर लिये हों, दूसरी बार पारित किया गया था।

(३) इस अनुच्छेद की कोई बात किसी धन-विधेयक को लागू नहीं होगी।

धन-विधेयकों
विषयक विशेष
प्रक्रिया
१९८. (१) विधान परिषद में धन विधेयक पुरःस्थापित न किया जायेगा।

(२) विधान-परिषद् वाले राज्य की विधान-सभा से पारित हो जाने के पश्चात, धन-विधेयक विधान-परिषद् को, उसकी सिफारिशों के लिये पहुंचाया जायेगा तथा विधान-परिषद् विधेयक की प्राप्ति की तारीख से चौदह दिन की कालावधि के भीतर विधेयक को अपनी सिपारिशों सहित विधान-सभा को लौटा देगी तथा ऐसा होने पर विधान-सभा, विधान-परिषद् की सिपारिशों में से सब को, या किसी को, स्वीकार या अस्वीकार कर सकेगी।