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भारत का संविधान


भाग ६—राज्य—अनु॰ २०२—२०४

(२) वार्षिक-वित्त-विवरण व्यय के प्राक्कलन में दिये हुए—

(क) जो व्यय इस संविधान में राज्य की संचित निधि पर भारित व्यय के रूप में वर्णित है उसकी पूर्ति के लिये अपेक्षित राशियां; तथा
(ख) राज्य की संचित निधि से किये जाने वाले अन्य प्रस्थापित व्यय की पूर्ति के लिये अपेक्षित राशियां;

पृथक् पृथक् दिखायी जायेंगीं, तथा राजस्व-लेखे पर होने वाले व्यय का अन्य व्यय से भेद किया जायेगा

(३) निम्नवर्ती व्यय प्रत्येक राज्य की संचित निधि पर भारित व्यय होगा—

(क) राज्यपाल की उपलब्धियां और भत्ते तथा उसके पद से सम्बद्ध अन्य व्यय;
(ख) विधान-सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के, तथा किसी राज्य में विधान-परिषद् होने की अवस्था में विधान-परिषद् के सभापति और उपसभापति के भी वेतन, और भत्ते;
ऐसे ऋण-भार जिनका दायित्व राज्य पर है जिनके अन्तर्गत ब्याज, निक्षेप-निधि-भार, और मोचन-भार, उधार लेने और ऋण-सेवा और ऋण मोचन सम्बन्धी अन्य व्यय, भी हैं;
(घ) किसी उच्चन्यायालय के न्यायाधीशों के वेतनों और भत्तों विषयक व्यय;
(ङ) किसी न्यायालय या मध्यस्थ-न्यायाधिकरण के निर्णय आज्ञप्ति या पंचाट के भुगतान के लिये अपेक्षित कोई राशियां;
(च) इस संविधान से या राज्य के विधान-मंडल से विधि द्वारा इस प्रकार भारित घोषित किया गया कोई अन्य व्यय।

विधान-मंडल में
प्राक्कलनों के
विषय में प्रक्रिया
२०३. (१) राज्य की संचित निधि पर भारित व्यय से सम्बद्ध प्राक्कलन विधान-सभा में मतदान के लिये न रखे जायेंगे, किन्तु इस खंड की किसी बात का यह अर्थ न किया जायेगा कि वह विधानमंडल में उन प्राक्कलनों में से किसी पर चर्चा को रोकती है।

(२) उक्त प्राक्कलनों में से जितने अन्य व्यय से सम्बद्ध हैं वे विधान-सभा के समक्ष अनुदान-मांग के रूप में रखे जायेंगे तथा विधान-सभा को शक्ति होगी कि किसी मांग को स्वीकार या अस्वीकार करे अथवा किसी मांग को, उस में उल्लिखित राशि को कम कर के, स्वीकार करे।

(३) राज्यपाल की सिपारिश के बिना किसी भी अनुदान की मांग न की जायेगी।

विनियोग-विधेयक २०४. (१) विधान-सभा द्वारा अनुच्छेद २०३ के अधीन अनुदान किये जाने के बाद यथासम्भव शीघ्र राज्य की संचित निधि में से—

(क) सभा द्वारा इस प्रकार किये गये अनुदानों की, तथा
(ख) राज्य की संचित निधि पर भारित किन्तु सदन या सदनों के समक्ष पहिले रखे गये विचरण में दी हुई राशि से किसी भी अवस्था में अनधिक व्यय की,

प्रति के लिये अपेक्षित सब धनों के विनियोग के लिये विधेयक पुरःस्थापित किया जायेगा।