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भारत का संविधान

भाग १२-वित्त, सम्पत्ति, संविदाएं और व्यवहार-वाद-अनु० २७५-२७६


कतिपय राज्यों को
संघ से अनुदान

२७५.ऐसी राशियां, जो संसद् विधि द्वारा उपबन्धित करे, उन राज्यों के कतिपय राज्यों को राजस्वों के सहायक अनुदान के रूप में प्रतिवर्ष भारत की संचित निधि पर भारित होंगी जिन राज्यों के विषय में संसद् यह निर्धारित करे कि उन्हें सहायता की आवश्य-कता है, तथा भिन्न-भिन्न राज्यों के लिये भिन्न-भिन्न राशियां नियत की जा सकेंगी:

परन्तु किसी राज्य के राजस्वों के सहायक अनुदान के रूप में भारत की संचित निधि में से वैसी मल तथा आवर्तक राशियां दी जायेंगी जैसी कि उस राज्य को उन विकास योजनाओं के खर्चों के उठाने में समर्थ बनाने के लिये आवश्यक हों, जो उस राज्य के अन्तर्गत अनुसूचित आदिम जातियों के कल्याण की उन्नति करने के प्रयोजन के लिये अथवा उसाज्य के अन्तर्गत अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन-स्तर को उस राज्य के शेप क्षेत्रों के प्रशासन-स्तर तक उन्नत करने के प्रयोजन के लिये उस राज्य ने भारत सरकार के अनुमोदन से हाथ में ली हों :

परन्तु यह और भी कि आसाम राज्य के राजस्वों के सहायक अनदान के रूप में रत की संचित निधि में से वैसी मूल तथा आवर्तक राशियां दी जायेंगी-

(क) जो षष्ठ अनुसूची की कंडिका २० से (क)संलग्न सारणी के भाग में उल्लिखित आदिमजाति-क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहिले दो वर्ष में राजस्वों से औसतन अधिक व्यय के बराबर हों;तथा
(ख)जो उक्त क्षेत्रों के प्रशासन-स्तर को उस राज्य के शेष क्षेत्रों के प्रशासन-स्तर तक उन्नत करने के प्रयोजन के लिये उस राज्य द्वारा भारत सरकार के अनुमोदन से हाथ में ली गई योजनाओं के खर्चों के बराबर हों।

(२) जब तक खंड (१) के अधीन संसद् द्वारा उपबन्ध नहीं किया जाता तब तक उस खंड के अधीन संसद् को प्रदत्त शक्तियां राष्ट्रपति से आदेश द्वारा प्रयोक्तव्य होंगी तथा इस खंड के अधीन राष्ट्रपति द्वारा दिया कोई आदेश संसद् द्वारा इस प्रकार निर्मित किसी उपबन्ध के अधीन रह कर ही प्रभावी होगा :

परन्तु वित्त-आयोग गठित हो जाने के पश्चात् वित्त आयोग की सिपारिशों पर विचार किये विना इस खंड के अधीन कोई आदेश राष्ट्रपति द्वारा नहीं दिया जायेगा।

वृतियों व्यापारों,
आजीविकाओं
और नौकरियों पर कर

२७६.(१) अनुच्छेद २४६ में किसी बात के होते हुए भी किसी राज्य वृत्तियों व्यापारों,के विधानमंडल की ऐसे करों सम्बन्धी कोई विधि, जो उस राज्य या किसी नगर-पालिका, जिला-मंडली, स्थानीय मंडली अथवा उसमें अन्य स्थानीय प्राधिकारी और के हित साधन के लिये वृत्तियों, व्यापारों आजीविकाओं या नौकरियों के बारे में लागू होती है, इस आधार पर अमान्य न होगी कि वह आय पर कर है।

(२) राज्य को अथवा उसमें की किसी एक नगरपालिका, जिला-मंडली स्थानीय मंडली या अन्य स्थानीय प्राधिकारी को किसी एक व्यक्ति के बारे में वृतियो व्यापारों आजीविकाओं और नौकरियों पर करों द्वारा देय समस्त राशि दो सौ पचास रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न होगी :