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भारत का संविधान

भाग १२-वित्त, सम्पत्ति, संविदाएं और व्यवहार-वाद-अनु० २८०-२८३

वित्तिय आयोग२६०.(१) इस संविधान के प्रारम्भ से दो वर्ष के भीतर और तत्पश्चात् विन आयोग प्रत्येक पंचम वर्ष की समाप्ति पर, अथवा उस से पहिले ऐसे समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझे, राष्ट्रपति प्रादेश द्वारा एक वित्त-पायोग गठित करेगा जो राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक सभापति और चार अन्य सदस्यों से मिल कर बनेगा।

(२)संसद् विधि द्वारा उन अर्हताओं का, जो आयोग के सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिये अपेक्षित होंगी, और उस रीति का, जिसके अनुसार उनका संवरण किया जायेगा, निर्धारण कर सकेगी।

(३)आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह --

(क) संघ तथा राज्यों के बीच में करों के शुद्ध आगम को, जो इस अध्याय के अधीन उन में विभाजित होता है या होवे, वितरण के बारे में,तथा राज्यों के बीच ऐसे पागम के तत्सम्बन्धी अंशों के बंटवारे के बारे में ,
(ख)भारत की संचित निधि में से राज्यों के राजस्वों के सहायक अनुदान देने में पालनीय सिद्धान्तों के बारे में ,

*******

[(ग)]सुस्थित वित्त के हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को सौंपे हुए किसी अन्य विषय के बारे में,

राष्ट्रपति को सिपारिश करे।

(४)आयोग अपनी प्रक्रिया निर्धारित करेगा तथा अपने कृत्यों के पालन में उसे ऐसी शक्तियां होंगी जो संसद् विधि द्वारा उसे प्रदान करे।

वित्तिय आयोग
की सिफारिशें
२८१.राष्ट्रपति इस संविधान के उपबन्धों के अधीन वित्त आयोग द्वारा की गई प्रत्येक सिपारिश को, उस पर की गई कार्यवाही के व्याख्यात्मक ज्ञापन के सहित, सिपारिशें संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवायेगा।

प्रकीर्ण वित्तीय उम्बन्ध

संघ या राज्य
द्वारा[अपने
राजस्व से किये
जाने वाले व्यय
२८२.संघ या राज्य किसी सार्वजनिक प्रयोजन के हेतु कोई अनुदान दे सकेगा, चाहे फिर वह प्रयोजन ऐसा न हो कि जिसके विषय में यथास्थिति संसद द्वारा अपने या उस राज्य का विधानमंडल, विधि बना सकता है।

संचित निधियों
की आकस्मिक-
निधियों की
तथा लोक-लेखो
जमा धनो की
अभिरक्षा
इत्यादि
२८३.(१) भारत की संचित निधि और भारत की आकस्मिकता-निधि संचित निधियों की अभिरक्षा, ऐसी निधियों में धन का डालना उनसे धन का निकालना, ऐसी निधियों की, जमा किये जाने वाले धन से अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा या उसकी ओर से कता-निधियों की प्राप्त लोक-धन की अभिरक्षा, उनका भारत के लोक-लेखों में दिया जाना तथा ऐसे लेखे से धन का निकालना तथा उपर्युक्त विषयों से संयुक्त या सहायक अन्य सब में जमा धनों की विषयों का विनियमन संसद् द्वारा निर्मित विधि से होगा तथा जब तक उस लिये अभिरक्षा उपबन्ध इस प्रकार न किया जाये तब तक राष्ट्रपति द्वारा निर्मित नियमों से होगा।


'उपखंड (ग) संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २६ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिया गया।

उपखंड (घ) उपरोक्त के ही द्वारा (ग) के रूप में पुनः अंकित किया गया।

जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में 'राज्य' को प्रति निर्देशों का यह अर्थ न किया जायेगा कि वे जम्मू और कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश हैं।