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भारत का संविधान

'भाग १२—वित्त, सम्पत्ति, संविदाए और व्यवहार-वाद
अनु० २९३-२९५'

(३) यदि किसी ऐसे उधार का, जिसे भारत सरकार ने या उसकी पूर्वाधिकारी सरकार ने उस राज्य को दिया था अथवा जिसके विषय में भारत सरकार ने अथवा उसकी पूर्वाधिकारी सरकार ने प्रत्याभूति दी थी, कोई भाग देना शेष है तो बह राज्य भारत सरकार की सम्मति के बिना कोई उधार न ले सकेगा।

(४) खंड (३) के अनुसार सम्मति उन शर्तों के अधीन, यदि कोई हों, दी जा सकेगी, जिन्हें भारत सरकार पारोपित करना उचित समझे।

अध्याय ३.—सम्पत्ति, संविदा, अधिकार, दायित्व, प्राभार
और व्यवहार-वाद

कतिपय अव-
स्थानों में सम्पत्ति,
आस्तियों, अधि-
कारों, दायित्वों
और आभारों का
उत्तराधिकार
२९४. इस संविधान के प्रारम्भ से ले कर—

(क) जो सम्पत्ति और आस्तियां भारत डोमीनियन की सरकार के प्रयोजनों के लिये सम्राट में ऐसे प्रारम्भ से ठीक पहिले निहित थीं तथा जो सम्पत्ति और आस्तियां प्रत्येक राज्यपाल प्रान्त की सरकार के प्रयोजनों के लिये सम्राट में ऐसे प्रारम्भ से ठीक पहिले निहित थीं, वे सब इस संविधान के प्रारम्भ से पहिले पाकिस्तान की डोमीनियन के अथवा पश्चिमी बंगाल, पूर्वी बंगाल, पश्चिमी पंजाब और पूर्वी पंजाब के प्रान्तों के सृजन के कारण किये गये या किये जाने वाले किसी समायोजन के अधीन रह कर क्रमशः संघ और तत्स्थानी राज्य में निहित होंगी; तथा
(ख) जो अधिकार, दायित्व और आभार भारत डोमीनियन की सरकार के तथा प्रत्येक राज्यपाल प्रान्त की सरकार के थे, चाहे फिर वे किसी संविदा से या अन्यथा उद्भूत हुए हों, वे सब इस संविधान के प्रारम्भ से पहिले पाकिस्तान की डोमीनियन के अथवा पश्चिमी बंगाल, पूर्वी बंगाल, पश्चिमी पंजाब और पूर्वी पंजाब के प्रान्तों के सृजन के कारण किये गये या किये जाने वाले किसी समायोजन के अधीन रह कर क्रमशः भारत सरकार तथा प्रत्येक तत्स्थानी राज्य की सरकार के अधिकार, दायित्व और आभार होंगी।

अन्य अवस्थाओं में
सम्पत्ति, आस्तियां,
अधिकारों,
दायित्वों और
आभारों का उत्त-
राधिकार
[१]२९५. (१) इस संविधान के प्रारम्भ से लेकर—

(क) जो सम्पत्तियां और आस्तियां प्रथम अनुसूची के भाग (ख) में उल्लिखित राज्य के तत्स्थानी किसी देशी राज्य में ऐसे प्रारम्भ से ठीक पहिले निहित थीं वे सब ऐसे करार के अधीन रह कर, जैसा कि उस बारे में भारत सरकार उस राज्य की सरकार से करे, संघ में निहित होंगी यदि जिन प्रयोजनों के लिये ऐसी सम्पत्तियां और आस्तियां ऐसे प्रारम्भ से ठीक पहिले संधृत थीं, वे तत्पश्चात संघ-सूची में प्रगणित विषयों में से किसी से सम्बद्ध संघ के प्रयोजन हों, तथा

  1. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में संविधान के प्रारम्भ के प्रति निर्देशों का ऐसे अर्थ किया जायेगा मानो कि वे संविधान (जम्मू और कश्मीर को लागू होना) आदेश १९५४ के प्रारम्भ अर्थात् १४ मई, १९५४ के प्रति निर्देश हैं।