पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/२७१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

भाग १४
संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं
अध्याय १.—सेवाएं

३०८. इस भाग में जब तक प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो "राज्य" पद निर्बंधन [१][के अन्तर्गत जम्मू और कश्मीर राज्य नहीं है।

संघ या राज्य की
सेवा करने वाले
व्यक्तियों की भर्ती
तथा सेवा की
शर्ते
३०९. इस संविधान के उपबन्धों के अधीन रहते हये समुचित विधानमंडल के अधिनियम संघ या किसी राज्य के कार्यों से संबद्ध लोक-सेवायों और पदों के लिये भर्ती का, तथा नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का, विनियमन कर सकेंगे :

परन्तु जब तक इस अनुच्छेद के अधीन समुचित विधानमंडल के अधिनियमके द्वारा या अधीन उस लिये उपबन्ध नहीं बनाये जाते तब तक यथास्थिति संघ केकार्यों से सम्बद्ध सेवाओं और पदों के बारे में राष्ट्रपति को, अथवा ऐसे व्यक्ति को,जिसे वह निर्देशित करे, तथा राज्य के कार्यों से सम्बद्ध सेवाओ और पदों के बारे में गज्य के राज्यपाल [२]* * * * को, अथवा ऐसे व्यक्ति को, जिसे वह निर्देशित करें, ऐसी सेवाओ और पदों के लिये भर्ती तथा नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनि- यमन करने वाले नियमों के बनाने की क्षमता होगी तथा किनी ऐसे अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हये उम प्रकार निर्मित कोई नियम प्रभावी होंगे।

संघ या राज्यों की
सेवा करने वाले
व्यक्तियों की
पदावधि
३१०. (१) इस मंविधान द्वारा स्पष्टता पूर्वक उपवन्धित अवस्था को छोड़ कर प्रत्येक व्यक्ति जो संघ की प्रतिरक्षा सेवा या असैनिक मेवा का या अखिल भारतीय सेवा करने वाले संवा का सदस्य है, अथवा संघ के अधीन प्रतिरक्षा से संबंधित किसी पद को अथवा किसी असैनिक पद को धारण करता है, राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त पद धारण करता है तथा प्रत्येक व्यक्ति, जो राज्य की असैनिक सेवा का सदस्य है अथवा राज्य के अधीन किसी असैनिक पद को धारण करता है, [३][राज्य के राज्यपाल] के प्रसाद पर्यन्त पद धारण करता है।

(२) इस बात के होते हुए भी कि संघ या राज्य के अधीन असैनिक पद को धारण करने वाला कोई व्यक्ति यथास्थिति राष्ट्रपति अथवा राज्य के राज्यपाल [२]* * * के प्रसाद पर्यन्त पद धारण करता है कोई संविदा, जिस के अधीन कोई व्यक्ति. जो प्रतिरक्षा सेवा या अखिल भारतीय सेवा अथवा मंघ या राज्य की असैनिक सेवा का सदस्य नहीं है, ऐसे किसी पद को धारण करने के लिये इस संविधान के अधीन नियुक्त होता है, यह उपबन्ध कर सकेगी कि यदि यथास्थिति राष्ट्रपति या राज्यपाल {{|sfn|"या राजप्रमुख" शब्द उपरोक्त के ही द्वारा लुप्त कर दिये गये।|}}* * * विशेष अर्हताओं वाले किसी व्यक्ति की सेवा को प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक समझता है तो, यदि करार की हुई काला- वधि की समाप्ति से पहिले उस पद का अन्त कर दिया जाता है अथवा उस के द्वारा किये गये किसी अवचार से असम्बद्ध कारणों के लिये उस से पद रिक्त करने की अपेक्षा की जाती है तो, उसे प्रतिकर दिया जायेगा।


  1. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखत राज्य अभिप्रेत ह के स्थान पर रखे गये।
  2. २.० २.१ "या राजप्रमुख" शब्द उपरोक्त के ही द्वारा लुप्त कर दिये गये।,
  3. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा " यथास्थिति राज्य के राज्यपाल या राज्यप्रमुख" शब्दों के स्थान पर रखे गय।