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भारत का संविधान

भाग १७––राजभाषा––अनु० ३४८––३४९
अध्याय ३.––उच्चतमन्यायालय, उच्चन्यायालयों आदि की भाषा



उच्चतमन्यायालय
और उच्चन्यायालयों
में तथा अधिनियमों,
विधेयकों आदि
में प्रयोग की
जाने वाली भाषा

३४८. (१) इस भाग के पूर्ववर्ती उपबन्धों में किसी बात के होते हुये भी जब तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा उपबन्ध न करे, तब तक––

(क) उच्चतमन्यायालय में तथा प्रत्येक उच्चन्यायालय में सब कार्यवाहियां,
(ख) जो––
(१) विधेयक, अथवा उन पर प्रस्तावित किये जाने वाले जो संशोधन संसद् के प्रत्येक सदन में अथवा राज्य के विधान मंडल के सदन या प्रत्येक सदन में पुरःस्थापित किये जायें उन सब के प्राधिकृत पाठ,
(२) अधिनियम संसद् द्वारा या राज्य के विधानमंडल द्वारा पारित किये जायें, तथा जो अध्यादेश राष्ट्रपति या राज्यपाल[१]1* * * द्वारा प्रख्यापित किये जायें, उन सब के प्राधिकृत पाठ, तथा
(३) आदेश, नियम, विनियम और उपविधि इस संविधान के अधीन, अथवा संसद् या राज्यों के विधानमंडल द्वारा निर्मित किसी विधि के अधीन, निकाले जायें उन सबके प्राधिकृत पाठ;
अंग्रेजी भाषा में होंगे।

(२) खंड (१) के उपखंड (क) में किसी बात के होते हए भी किसी राज्य का राज्यपाल1* * * राष्ट्रपति की पूर्व सम्मति से हिन्दी भाषा का या उस राज्य में राजकीय प्रयोजन के लिये प्रयोग होने वाली किसी अन्य भाषा का प्रयोग उस राज्य में मुख्य स्थान रखने वाले उच्चन्यायालय में की कार्यवाहियों के लिये प्राधिकृत कर सकेगा :

परन्तु इस खंड की कोई बात वैसे उच्चन्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय, आज्ञप्ति अथवा आदेश को लागू न होगी।

(३) खंड (१) के उपखंड (ख) में किसी बात के होते हुये भी, जहां किसी राज्य के विधानमंडल ने, उस विधानमंडल में पुरःस्थापित विधेयकों या उसके द्वारा पारित अधिनियमों में अथवा उस राज्य के राज्यपाल1* * * द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों में अथवा उस उपखंड की कंडिका (३) में निर्दिष्ट किसी आदेश, नियम, विनियम या उपविधि में प्रयोग के लिये अंग्रेजी भाषा से अन्य किसी भाषा के प्रयोग को विहित किया है वहां उस राज्य के राजकीय सूचना-पत्र में उस राज्य के राज्यपाल1* * * के प्राधिकार से प्रकाशित अंग्रेजी भाषा में उसका अनुवाद उस खंड के अभिप्रायों के लिये उस का अंग्रेजी भाषा में प्राधिकृत पाठ समझा जायेगा।


भाषा सम्बन्धी
कुछ विधियों
के अधिनियमित
करने के लिये
विशेष प्रक्रिया

३४९. इस संविधान के प्रारंभ से पन्द्रह वर्षों की कालावधि तक अनुच्छेद ३४८ के खंड (१) में वर्णित प्रयोजनों में से किसी के लिये प्रयोग की जाने वाली भाषा के लिये उपबन्ध करने वाला कोई विधेयक या संशोधन संसद् के किसी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बिना न तो पुरःस्थापित और न प्रस्तावित किया जायेगा तथा ऐसे किसी विधेयक के पुरःस्थापित अथवा ऐसे किसी संशोधन के प्रस्तावित किये जाने की मंजूरी अनुच्छेद ३४४ के खंड (१) के अधीन गठित आयोग की सिपारिशों पर, तथा उस अनुच्छेद के खंड (४) के अधीन गठित समिति के प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात् ही राष्ट्रपति देगा।


  1. "या राजप्रमुख" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।