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भारत का संविधान


भाग १८—आपात-उपबन्ध—अनु॰ ३५४—३५६

आपात की उद्घोषणा
जब प्रवर्तन में है तब
राजस्वों के वितरण
सम्बन्धी उपबन्धों की
प्रत्युक्ति
३५४. (१) जब कि आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है, तब राष्ट्रपति आदेश द्वारा निदेश दे सकेगा कि इस संविधान के अनुच्छेद २६८ से २७९ तक के सब या कोई उपबन्ध ऐसी किसी कालावधि में, जैसी कि उस आदेश में उल्लिखित की जाये और जो किसी अवस्था में भी उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति से आगे विस्तृत न होगी, जिसमें कि उद्घोषणा प्रवर्तन में नहीं रहती, ऐसे अपवादों या रूपभेदों के अधीन प्रभावी होंगे जैसे कि वह उचित समझे।

(२) खंड (१) के अधीन दिया प्रत्येक आदेश उसके दिये जाने के पश्चात यथासंभव शीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जायगा।

बाह्य आक्रमण
और आभ्यन्तरिक
अशान्ति से राज्य
का संरक्षण करने का
संघ का कर्तव्य
३५५. बाह्य आक्रमण और आभ्यन्तरिक अशान्ति से प्रत्येक राज्य का संरक्षण करना, तथा प्रत्येक राज्य की सरकार इस संविधान के उपबन्धों के अनुसार चलाई जाये, यह सुनिश्चित करना संघ का कर्तव्य होगा।

 

राज्यों में सांविधानिक
तंत्र के विफल हो
जाने की अवस्था
में उपबन्ध
[१]३५६. (१) यदि किसी राज्य के राज्यपाल [२]* * * से प्रतिवेदन मिलने पर या अन्यथा राष्ट्रपति का समाधान हो जाये कि ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जिसमें कि उस राज्य का शासन इस संविधान के उपबन्धों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता तो राष्ट्रपति उद्घोषणा द्वारा—

(क) उस राज्य की सरकार के सब या कोई कृत्य, तथा [३][राज्यपाल] में, अथवा राज्य के विधानमंडल को छोड़ कर राज्य के किसी निकाय या प्राधिकारी में, निहित, या तदद्वारा प्रयोक्तव्य सब या कोई शक्तियां अपने हाथ में ले सकेगा;
(ख) घोषित कर सकेगा कि राज्य के विधानमंडल की शक्तियां संसद् के प्राधिकार के द्वारा या अधीन प्रयोक्तव्य होगी;
(ग) राज्य में के किसी निकाय या प्राधिकारी से संबद्ध इस संविधान के किन्हीं उपबन्धों के प्रवर्तन को पूर्णत: या अंशत: निलम्बित करने के लिये उपबन्ध सहित ऐसे प्रासंगिक और आनुषंगिक उपबन्ध बना सकेगा जैसे कि राष्ट्रपति को उद्घोषणा के उद्देश्य को प्रभावी करने के लिये आवश्यक या वांछनीय दिखाई दें :

परन्तु इस खंड की किसी बात से राष्ट्रपति को यह प्राधिकार न होगा कि वह उच्चन्यायालय में निहित या तदद्वारा प्रयोक्तव्य शक्तियों में से किसी को अपने हाथ में ले अथवा इस संविधान के उच्चन्यायालयों से सम्बद्ध किन्हीं उपबन्धों के प्रवर्तन को पूर्णतः या अंशतः निलम्बित कर दे।

(२) ऐसी कोई उद्घोषणा किसी उत्तरवर्ती उद्घोषणा द्वारा प्रतिसंहृत या परिवर्तित की जा सकेगी।


  1. अनुच्छेद ३५६ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगा।
  2. "या राजप्रमुख" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  3. उपरोक्त के ही द्वारा "यथास्थिति राज्यपाल या राजप्रमुख" के स्थान पर रख गये।