पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/३१३

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भाग १८—आपात-उपबन्ध—अनु॰ ३५७—३६०

(ख) संघ अथवा उसके पदाधिकारियों और प्राधिकारियों को शक्ति देने या कर्तव्य आरोपित करने के लिये, अथवा शक्तियों का दिया जाना या कर्तव्यों का आरोपित किया जाना प्राधिकृत करने के लिये, विधि बनाने की संसद् को अथवा राष्ट्रपति की या ऐसी विधि बनाने की शक्ति जिस अन्य प्राधिकारी में उपखंड (क) के अधीन निहित है उसकी,
(ग) जब लोक-सभा सत्र में न हो तब व्यय के लिये संसद् की मंजूरी लंबित रहने तक राज्य की संचित निधि में से ऐसे व्यय को प्राधिकृत करने की राष्ट्रपति की क्षमता होगी।

(२) राज्य के विधानमंडल की शक्ति के प्रयोग में संसद् द्वारा अथवा राष्ट्रपति अथवा खंड (१) के उपखंड (क) में निर्दिष्ट अन्य प्राधिकारी द्वारा निर्मित कोई विधि, जिसे अनुच्छेद ३५६ के अधीन की गई उद्घोषणा के अभाव में संसद् या राष्टपति या ऐसा अन्य प्राधिकारी बनाने के लिये सक्षम न होता, उद्घोषणा के प्रवर्तन में न रहने के पश्चात एक वर्ष की कालावधि की समाप्ति पर अक्षमता की मात्रा तक सिवाय उन बातों के प्रभाव में न रहेगी जो उक्त कालावधि की समाप्ति से पूर्व की गई या की जाने से छोड़ दी गई थी जब तक कि वे उपबन्ध, जो इस प्रकार प्रभावी न रहेंगें, समुचित विधानमंडल के अधिनियम द्वारा उस से पहिले ही या तो निरसित और या रूपभेदों के सहित या बिना पुनः अधिनियमित न कर दिय गये हो;

आपातों में अनुच्छेद
१९ के उपबन्धों
का निलम्बन
३५८. जब आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है तब अनुच्छेद १९ की किसी बात से राज्य की कोई ऐसी विधि बनाने की अथवा कोई ऐसी कार्यपालिका कार्यवाही करने की भाग ३ में परिभापित शक्ति, जिसे वह राज्य उस भाग में अन्तर्विष्ट उपबन्धों के अभाव में बनाने अथवा करने के लिये सक्षम होता, निबंन्धित नहीं होगी किन्तु इस प्रकार निर्मित कोई विधि उद्घोषणा के प्रवर्तन में न रहने पर अक्षमता की भाषा तक तुरन्त प्रभावशून्य हो जायेगी शिवाय उन बातों के जो विधि के इस प्रकार प्रभावशून्य होने से पहिले की गई या की जाने से छोड़ दी गई थी।

आपात में भाग ३
द्वारा प्रदत्त अधि-
कारों के प्रवर्तन
का निलम्बन
३५९. (१) जहां कि आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है वहां राष्ट्रपति आदेश द्वारा घोषित कर सकेगा कि भाग ३ द्वारा दिये गये अधिकारों में से ऐसों को प्रवर्तित कराने के लिये, जैसे कि उस आदेश में वर्णित हों, किसी न्यायालय के प्रचालन का अधिकार तथा इस प्रकार वर्णित अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिये किसी न्यायालय में लंबित सब कार्यवाहियां उस कालावधि के लिये, जिसमें कि उद्घोषणा लागू रहती है, अथवा उस से छोटी ऐसी कालावधि के लिये, जैसी कि आदेश में उल्लिखित की जाये, निलम्बित रहेगी।

(२) उपरोक्त प्रकार दिया हुआ आदेश भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में अथवा उस के किसी भाग पर विस्तृत हो सकेगा।

(३) खंड (१) के अधीन दिया प्रत्येक आदेश उसके दिये जाने के पश्चात् यथासंभव शीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जायगा।

वित्तीय आपात के
बारे में उपबन्ध
[१]३६०. यदि राष्ट्रपति का समाधान हो जाये कि ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जिससे भारत अथवा उसके राज्यक्षेत्र के किसी भाग का वित्तीय स्थायित्व या प्रत्यय संकट में है तो वह उद्घोषणा द्वारा उस बात की घोषणा कर सकेगा।


  1. अनुच्छेद ३६० जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगा।