पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/३१७

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भाग १९

प्रकीर्ण

राष्ट्रपति और
राज्यपालों और
राजप्रमुखों का
संरक्षण
[१]३६१. (१) राष्ट्रपति, राज्य का राज्यपाल या राजप्रमुख अपने पद की शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन के लिये अथवा उन शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन में अपने द्वारा किये गये अथवा कर्तुमभिप्रेत किसी कार्य के लिये किमी न्यायालय को उतरदायी न होगा :

परन्तु अनुन्छेद ६१ के अधीन दोषारोप के अनुसंधान के लिये संसद् के किसी सदन द्वारा नियुक्त या नामोदिष्ट किसी न्यायालय, न्यायाधिकरण या निकाय द्वारा राष्ट्रपति के आचरण का पुर्नावलोकन किया जा सकेगा :

परन्तु यह और भी कि इस खंड की किसी बात का यह अर्थ नहीं किया जायेगा मानों कि वह भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के खिलाफ समूचित कार्यवाहियों के चलाने के किसी व्यक्ति के अधिकार को निर्बन्धित करती है।

(२) राष्ट्रपति के अथवा राज्य के राज्यपाल [२]* * * के खिलाफ उसकी पदावधि में किसी भी प्रकार की दंड कार्यवाही किसी न्यायालय में संस्थित नहीं की जायेगी और न चालू रखी जायेगी।

(३) राष्ट्रपति अथवा राज्य के राज्यपाल [२]* * * की पदावधि में उसे बन्दी या कारावासी करने के लिय किसी न्यायालय से कोई आदेशिका नहीं निकलेगी।

(४) राष्ट्रपति अथवा किसी राज्य के राज्यपाल [२]* * * के रूप में अपना पद ग्रहण करने से पूर्व या पश्चात, अपने वैयक्तिक रूप में किये गये अथवा कर्तुमभिप्रेत किसी कार्य के बारे में राष्ट्रपति अथवा ऐसे राज्य के राज्यपाल [२]* * * के खिलाफ अनुतोष की मांग करने वाली कोई व्यवहार कार्यवाहिया उसकी पदावधि में किसी न्यायालय में तब तक संस्थित न की जायेगी जब तक कि कार्यवाहियों के स्वरूप, उनके लिय वाद का कारण ऐसी कार्यवाहियों को संस्थित करने वाले पक्षकार का नाम, विवरण, निवासस्थान तथा उससे मांग किये जाने वाले अनुतोष का वर्णन करने वाली लिखित सूचना को यथास्थिति राष्ट्रपति या राज्यपाल [२]* * * को दिये जाने अथवा उसके कार्यालय में छोड़े जाने के पश्चात् दो मास का समय व्यतीत न हो गया हो।


  1. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद ३६१ में खंड (४) के पश्चात् निम्नलिखित खंड जोड़ दिया जायेगा, अर्थात्—
    "(५) इस अनुच्छेद के उपबन्ध जम्मू और कश्मीर के सदरे रियासत के सम्बन्ध में वैसे ही लागू होंगे जैसे कि वे किसी राजप्रमुख के सम्बन्ध में लागू होते हैं किन्तु इससे उस राज्य के संविधान के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़ेगा।"
  2. २.० २.१ २.२ २.३ २.४ "या राजप्रमुख" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६ धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।,

21—1 Law/57