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अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
अध्याय २—उधार लेना | |
२९२ भारत सरकार द्वारा उधार लेना | १०८ |
२९३ राज्यों द्वारा उधार लेना | १०८ |
अध्याय ३–सम्पत्ति, संविदा, अधिकार, दायित्व, आभार और व्यवहार-वाद | |
२६४ कतिपय अवस्थाओं में सम्पत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और आभारों का उत्तराधिकार |
१०९ |
२६५ अन्य अवस्थाओं में सम्पत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और आभारों का उत्तराधिकार |
१०९ |
२६६ राजगामी, व्यपगत या स्वामिहीनत्व होने से प्रोद्भूत सम्पत्ति |
११० |
२९७ जलप्रांगण में स्थित मूल्यवान चीजें संघ में निहित होंगी | ११० |
२६८ व्यापार आदि करने की शक्ति | ११० |
२६६ संविदाएं | १११ |
३०० व्यवहार-वाद और कार्यवाहियां | १११ |
भाग १३ | |
३०१ व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतन्त्रता | ११२ |
३०२ व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बन्धन लगाने की संसद् की शक्ति |
११२ |
३०३ व्यापार और वाणिज्य के विषय में संघ और राज्यों की विधायिनी शक्तियों पर निर्बन्धन |
११२ |
३०४ राज्यों के पारस्परिक व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बन्धन |
११२ |
३०५ वर्तमान विधियों और राज्य एकाधिपत्यों के लिए उपबन्ध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति |
११३ |
३०६ [निरसित] | ११३ |
३०७ अनुच्छेद ३०१ और ३०४ तक के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिये प्राधिकारी को नियुक्ति |
११३ |
भाग १४ | |
३०८ निर्वचन | ११४ |
३०६ संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती तथा सेवा की शर्तें |
११४ |
३१० संघ या राज्यों की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि |
११४ |