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भारत का संविधान


षष्ठ अनुसूची

८. भू-राजस्व निर्धारित करने तथा संग्रह करने और कर-आरोपण को शक्ति.—(१) स्वायत्तशासी प्रदेश की प्रादेशिक परिषद् को ऐसे प्रदेश के अन्तर्गत सब भूमियों के बारे में, तथा यदि जिले में कोई प्रादेशिक परिषद् हो तो उसके प्राधिकाराधीन क्षेत्रों में स्थित भूमियों को छोड़ कर जिलान्तर्गत अन्य सब भूमियों के बारे में, स्वायत्तशासी जिले की जिला-परिषद् को ऐसी भूमियों के बारे में,उन सिद्धांतों के अनुसार भू-राजस्व निर्धारण करने और संग्रह करने की शक्ति होगी जो सामान्यतया आसाम राज्य में भू-राजस्व के प्रयोजनार्थ भूमियों के परिगणन में आसाम सरकार द्वारा तत्समय अनुसरण किये जाते है।

(२) स्वायत्तशासी प्रदेश की प्रादेशिक परिषद् को, ऐसे प्रदेश के अन्तर्गत क्षेत्रों के बारे मे, तथा यदि जिले में कोई प्रादेशिक परिषद् हो तो उनके प्राधिकाराधीन क्षेत्रों को छोड़ कर जिला मे के अन्य सब क्षेत्रों के बारे में स्वायत्तशासी जिले की जिला-परिषद् को, भूमि और इमारतों पर करों को, तथा ऐसे क्षेत्रों में निवास करने वाले व्यक्तियों पर पथ-कर को, उद्ग्रहण और संग्रह करने की शक्ति होगी।

(३) स्वायत्तशासी जिले की जिला-परिषद् को ऐसे जिले के भीतर निम्न करो में से सबको या किसी को उद्ग्रहण और संग्रह करने की शक्ति होगी, अर्थात्—

(क) वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओ और नौकरियों पर कर;
(ख) पशुओं, यानो और नावों पर कर;
(ग) किसी बाजार में वहां बिकने के लिय वस्तुओ के प्रवेश पर कर तथा नावों से जाने वाले व्यक्तियों और वस्तुओं पर पथ-कर;
(घ) पाठशालाओं, औषधालयो या सड़कों के बनाये रखने के लिये कर।

(४) इस कंडिका की उपकंडिका (२) और (3) में उल्लिखित करों में से किसी के उद्ग्रहण और संग्रह को उपबन्धित करने के लिय यथास्थिति प्रादेशिक परिषद् या जिला-परिषद् विनियम बना सकेगी।

९. खनिजों के खोजने या निकालने के लिये अनज्ञप्तियां या पट्टे.—(१)किसी स्वायत्तशासी जिलान्तर्गत किसी क्षेत्र के बारे मे आसाम सरकार द्वारा खनिजों के खोजने या निकालने के लिये की गई अनुज्ञप्तियों या पट्टों से प्रति वर्ष प्रोद्भूत होने वाले स्वामिस्व का ऐसा अंश उन जिला-परिषद् को दे दिया जायेगा जैसा कि आसाम सरकार और ऐसे जिला की जिला-परिषद् के बीच करार पाये।

(२) जिला-परिषद् को दिये जाने वाले एमे स्वामिस्त्र के अंश के बारे में यदि कोई विवाद पैदा हो तो वह राज्यपाल को निर्धारण के लिये सौंपा जायेगा तथा स्वविवेक से राज्यपाल द्वारा निधारित राशि इस कंडिका की उपकंडिका (१) के अधीन जिला-परिषद् को देय राशि समझी जायेगी तथा राज्यपाल का विनिश्चय अन्तिम होगा।

१०. आदिमजातियों से भिन्न लोगों को साहूकारी और व्यापार के नियंत्रण के लिये जिला-परिषद् की विनियम बनाने की शक्ति.—(१) स्वायत्तशासी जिले की जिला-परिषद् उस जिले में से ऐसे लोगों की, जो उसमें निवास करने वाली आदिम जातियों से भिन्न है, साहूकारी और व्यापार के विनियमन और नियंत्रण के लिये विनियम बना सकगी।

(२) विशेषतया तथा पूर्ववर्ती शक्ति की व्यापकता पर बिना प्रतिकूल प्रभाव डाले ऐसे विनियम–

(क) विहित कर सकेंगे कि उस लिये दी गई अनुज्ञप्ति रखने वाले के अतिरिक्त और कोई साहूकारी का काराबार न करेगा;
(ख) साहूकार द्वारा लगाई जाने या वसूल की जाने वाली ब्याज की अधिकतम दर विहित कर सकेंगे;
(ग) साहूकारों द्वारा लेखा रखने का तथा जिला परिषदों द्वारा उस लिये नियुक्त पदाधिकारियों द्वारा ऐसे लेखाओं के निरीक्षण का उपबन्ध कर सकेंगे।

25-1 Law/57