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भारत का संविधान


षष्ठ अनुसूची

(घ) विहित कर सकेंगे कि कोई व्यक्ति, जो जिले में निवास करने वाली अनुसूचित आदिमजातियों में का नहीं है, जिला-परिषद् द्वारा उस लिये दी गई अनुज्ञप्ति के बिना किसी वस्तु में थोक या फुटकर कारबार न करेगा।

परन्तु इस कंडिका के अधीन ऐसे विनियम तब तक न बन सकेंगे जब तक कि वे जिला-परिषद् की समस्त सदस्य संख्या के तीन चौथाई से अन्यून बहुमत से पारित न किये जायें:

परन्तु यह और भी कि ऐसे किन्हीं विनियमों के अधीन यह क्षमता न होगी कि जो साहूकार या व्यापारी ऐसे विनियमों के बनने के समय से पूर्व जिले के अन्दर व्यापार करता रहा है, उसको अनुज्ञप्ति देना अस्वीकृत कर दिया जाये।

(३) इस कंडिका के अधीन निर्मित सब विनियम तुरन्त राज्यपाल के समक्ष रखे जायेंगे तथा जब तक वह उनको अनुमति न दे दे प्रभावी न होंगे।

११. इस अनुसूची के अधीन बनी हुई विधियों, नियमों और विनियमों के प्रकाशन.—जिला-परिषद् प्रादेशिक परिषद् द्वारा इस अनुसूची के अधीन बनाई हई सब विधिया, नियम और विनियम राजकीय सूचना-पत्र में तुरन्त प्रकाशित किये जायेंगे और ऐसे प्रकाशन पर व विधिसम प्रभावी होंगे।

१२. स्वायत्तशासी जिलों और स्वायत्तशासी प्रदेशों पर संसद और राज्य के विधानमंडल के अधिनियमों का लागू होना.—(१) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी—

(क)राज्य के विधानमंडल का कोई अधिनियम, जो ऐसे विषयों के बारे में जिनको इस अनुसूची की कंडिका ३ में ऐसा विषय होना उल्लिम्बित किया गया है जिन के बारे में जिला-परिषद् या प्रादेशिक परिषद् विधि बना सकेगी तथा राज्य के विधानमंडल का कोई अधिनियम, जो किसी अनागुत मद्यमारिक पान के उपभोग का प्रतिरोध या निर्बन्धन करता है, किसी स्वायत्तशासी जिले या स्वायत्तशासी प्रदेश को तब तक लागू न होगा जब तक कि दोनों में से प्रत्येक स्थिति में ऐसे जिले की, अथवा ऐसे प्रदेश पर क्षेत्राधिकार रखने वाली, जिला-परिषद् लोक-अधिसूचना द्वारा उस प्रकार निदेश न दे तथा जिला-परिषद् किसी अधिनियम के बारे में ऐसा निदेश देने में यह निदेश भी दे सकेगी कि ऐसे जिले या प्रदेश या उस के किसी भाग पर लागू होने में अधिनियम ऐसे अपवादों या रूपभेदों के साथ प्रभावी होगा जैसे कि वह उचित समझे,
(ख) राज्यपाल लोक अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि संसद का अथवा राज्य के विधान-मंडल का अधिनियम जिसे इस उपकंडिका के खंड (क) के उपबन्ध लागू नहीं होते किसी स्वायत्तशासी जिले या किसी स्वायत्तशासी प्रदेश को लागू न होगा अथवा ऐसे जिले या प्रदेश अथवा उस के किसी भाग को ऐसे अपवादों या रूपभेदों के साथ लागू होगा जैसे कि वह उस अधिसूचना में उल्लिखित करे।

(२) इस कंडिका की उपकंडिका (१) के अधीन दिया हुआ कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकता है कि इसका भूतलक्षी प्रभाव भी हो।

१३. स्वायत्तशासी जिलों से सम्बद्ध प्राक्कलित प्राप्तियों और व्यय का वार्षिक-वित्त-विवरण में पृथक् दिखाया जाना.—स्वायत्तशासी जिले से सम्बद्ध प्राक्कलित प्राप्तियां और व्यय, जो आसाम राज्य की संचित निधि में जमा होनी,या से की जानी है, पहिले जिला-परिषद् के सामने चर्चा के लिये रखी जायेंगी तथा ऐसी चर्चा के पश्चात इस संविधान के अनुच्छेद २०२ के अधीन राज्य के विधानमंडल के समक्ष रखे जाने वाले वार्षिक-वित्त-विवरण में पथक दिखाई जायेंगी।