पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/४२९

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परिशिष्ट


(२) राष्ट्रपति समय समय पर—

(क) सदनों या किसी सदन का सत्तावसान कर सकेगा,
(ख) लोक-सभा का विघटन कर सकेगा।"

अनुच्छेद ८७ का
संशोधन
७. संविधान के अनुच्छेद ८७ में—

(१) खंड (१) में "प्रत्येक सत्त के प्रारम्भ में" शब्दों के स्थान पर “लोक-सभा के लिये प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्त के प्रारम्भ में तथा प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्त के प्रारम्भ में" शब्द रख दिये जायेंगे।

(२) खंड (२) में “तथा सदन के अन्य कार्य पर इस चर्चा को पूर्ववर्तिता देने के लिये" शब्द लुप्त कर दिये जायेंगे।

अनुच्छेद १७४ का
संशोधन
८. संविधान के अनुच्छेद १७४ के स्थान पर निम्नलिखित अनुच्छेद रख दिया जायगा, अर्थात्—

राज्य के विधान-
मंडल के सत्र,
सत्तावसान और
विघटन
“१७४. (१) राज्यपाल समय समय पर राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन को ऐसे समय तथा स्थान पर, जैसा कि वह उचित समझे, अधिवेशन मंडल के सत्र, के लिये आहूत करेगा किन्तु उसके एक सत्र की अन्तिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियुक्त तारीख के बीच छः मास का अन्तर न होगा।

(२) राज्यपाल समय समय पर— (क) सदन या किसी सदन का सत्तावसान कर सकेगा, (ख) विधान-सभा का विघटन कर सकेगा।"

अनुच्छेद १७६
का संशोधन
९. संविधान के अनुच्छेद १७६ में—

(१) खंड (१) में "प्रत्येक सत्र के प्रारम्भ में" शब्दों के स्थान पर "विधान-सभा के लिये प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के प्रारम्भ में तथा प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्त के प्रारम्भ में" शब्द रख दिये जायेंगे;

(२) खंड (२.) में “तथा सदन के अन्य कार्य पर इस चर्चा को पूर्ववर्तिता देने के लिये" शब्द लुप्त कर दिये जायेंगे।

अनुच्छेद ३४१
का संशोधन
१०. संविधान के अनुच्छेद ३४१ के खंड (१) में "राज्य के राज्यपाल या अनुच्छेद ३४१ राजप्रमुख से परामर्श करने के पश्चात" शब्दों के स्थान पर "किसी राज्य के सम्बन्ध का संशोधन में, और जहां वह प्रथम अनसूची के भाग क या भाग ख में उल्लिखित कोई राज्य है उसके राज्यपाल या राजप्रमुख से परामर्श करने के पश्चात्" शब्द रख दिये जायेंगे।

अनुच्छेद ३४२ का
संशोधन
११. संविधान के अनुच्छेद ३४२ के खंड (१) में "राज्य के राज्यपाल या राजप्रमुख से परामर्श करने के पश्चात" शब्दों के स्थान पर "किसी राज्य के सम्बन्ध में, और जहां वह प्रथम अनसूची के भाग 'क' या भाग 'ख' में उल्लिखित कोई राज्य है उसके राज्यपाल या राजप्रमुख से परामर्श करने के पश्चात्" शब्द रख दिये जायेंगे।

अनुच्छेद ३७२ का
संशोधन
१२. संविधान के अनुच्छेद ३७२ के खंड (३) के उपखंड (क) में “दो वर्ष" शब्दों के स्थान पर, “तीन वर्ष" शब्द रख दिये जायेंगे।

अनुच्छेद ३७६ का
संशोधन
१३. संविधान के अनुच्छेद ३७६ के खंड (१) के अन्त में निम्नलिखित जोड़ दिया जायेगा, अर्थात्—

"कोई ऐसा न्यायाधीश, इस बात के होते हए भी कि वह भारत का नागरिक नहीं है, ऐसे उच्चन्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति के रूप में या किसी अन्य उच्च-न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति या अन्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिये पात्र होगा।"