पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/४३९

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परिशिष्ट
(ङ) किसी खनिज या खनिज तेल को खोजने या लब्ध करन के प्रयोजन के लिये किसी करार, पट्टे या अनुज्ञप्ति के बल पर प्रोद्भूत होने वाले किन्हीं अधिकारों के निर्वापन या रूपभेदन के लिए या किसी ऐसे करार, पट्टे या अनुज्ञप्ति को समय से पुर्व पर्यवस्त करने या प्रतिसंहृत करने के लिए.

उपबन्ध करने वाली विधि की बाबत इस कारण कि वह अनुच्छेद १४. अनच्छेद १९ या अनच्छेद ३१ द्वारा प्रदत्त अधिकारों में से किमी से असंगत है या उसको छीनती या न्यून करती है यह न समझा जायेगा कि वह शून्य है;

परन्तु जहां कि ऐसी विधि किसी राज्य के विधान मंडल द्वारा निर्मित विधि है वहां जब तक कि ऐसी विधि को राष्ट्रपति के विचारार्थ रक्षित रखे जाने पर उसे राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त न हो गई हो, इस अनुच्छेद के उपबन्ध उस विधि के सम्बन्ध में लागू नहीं होंगे," और

(ख) खंड (२) में,

(i) उपखंड (क) में “अनुदान" शब्द के पश्चात् "और मद्रास और तिरुवांकुर, कोचीन राज्यों में कोई जनमम् अधिकार" शब्द अन्तःस्थापित किये जायेंगे और सदा ही अन्त:स्थापित समझे जायेंगे, और
(ii) उपखंड (ख) में "भू धृतिधारी" शब्द के पश्चात् "रय्यत, अवर रय्यत" शब्द अन्तःस्थापित किये जायेंगे और सदा ही अन्तःस्थापित समझे जायेंगे।

अनुच्छेद ३०५ के
स्थान पर नया
अनुच्छेद रखना
४. संविधान के अनुच्छेद ३०५ के स्थान पर निम्नलिखित अनुच्छेद रख दिया जायेगा, अर्थात–

 

वर्तमान विधियों
और राज्य एका-
धिपत्यों के लिए
उपबन्ध करने
वाली विधियों की
व्यावृत्ति
"३०५. अनुच्छेद ३०१ और ३०३ की कोई बात किसी वर्तमान विधि के उपबन्धों पर, वहां तक के सिवाय जहां तक कि राष्ट्रपति आदेश द्वारा अन्यथा निदेश दे, कोई प्रभाव न डालेगी; और अनुच्छेद ३०१ की कोई बात संविधान (चतुर्थ संशोधन) अधिनियम, १९५५ के प्रारम्भ से पूर्व निर्मित किसी विधि के प्रवर्तन पर वहां तक, जहां तक कि वह विधि किसी ऐसे विषय से सम्बद्ध है जैसा कि अनुच्छेद १९ के खंड (६) के उपखंड (ii) में निर्दिष्ट है, कोई प्रभाव न डालेगी या ऐसे किसी विषय से सम्बद्ध, जैसा कि अनुन्छेद १९ के खंड (६) के उपखंड (ii) में निर्दिष्ट है, कोई विधि बनाने से संसद् या किसी राज्य के विधान-मंडल को न रोकेगी।"

नवम् अनुसूची का
संशोधन
५. संविधान की नवम् अनुसूची में प्रविष्टि १३ के पश्चात् निम्नलिखित प्रविष्टियां जोड़ी जायेंगी, अर्थात्-

“१४. बिहार विस्थापित व्यक्ति पुनर्वास (भूमि का अर्जन) अधिनियम, १९५० (१९५० का बिहार अधिनियम ३८)।

१५. संयुक्त प्रान्त के (शरणार्थियों को बसाने के लिये) भूमि प्राप्त करने का ऐक्ट, १९४८ (१९४८ का संयुक्त प्रान्त एक्ट २६)।

१६. विस्थापित व्यक्तियों का पुनर्वास (भूमि अर्जन) अधिनियम, १९४८ (१९४८ का अधिनियम ६०)।

१७. बीमा (संशोधन) अधिनियम, १९५० (१९५० का अधिनियम ४७) की धारा ४२ द्वारा यथा अन्तःस्थापित, बीमा अधिनियम, १९३८ (१९३८ का अधिनियम ४) की ५२ क से लेकर ५२छ तक की धाराएं।