पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/४४३

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परिशिष्ट

विधान (पंचम संशोधन) अधिनियम, १९५५

भारत के संविधान के अपर संशोधन के लिये अधिनियम

(२४ दिसम्बर, १९५५)

भारत गणराज्य के छठे वर्ष में संसद् द्वाग निम्नरूपेण अधिनियमित हो—

संक्षिप्त नाम १. यह अधिनियम संविधान (पंचम संगोधन) अधिनियम, १९५५ के नाम में ज्ञात हो सकेगा।

अनुच्छेद ३ का
संशोधन
२. संविधान के अनुच्छेद ३ में परन्तुक के स्थान पर निम्नलिखित परन्तुक रख दिया जाएगा, अर्थात्—

"परन्तु इस प्रयोजन के लिये कोई विधयक राष्ट्रपति की सिपारिश बिना, तथा जहां विधेयक में अन्तविप्ट प्रस्थापना का प्रभाव प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित राज्यों में से किसी के क्षेत्र, सीमाओं या नाम पर पड़ता हो वहां जब तक कि उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा उस पर अपने विचार, ऐसी कालावधि के अन्दर, जैसी कि निर्देश में उल्लिखित की जाए या ऐसी अतरिक्त कालावधि के अन्दर, जैसी कि राष्ट्रपति समनुज्ञात करे, प्रकट किये जाने के लिये राष्ट्रपति द्वारा उसे निर्देशित न कर दिया गया हो और उस प्रकार उल्लिखित या समनुज्ञात कालावधि समाप्त न हो गयी हो संसद् के किसी सदन में पुरःस्थापित न किया जायेगा।"