पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१०१

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६० भारत की एकता का निर्माण अब महाराष्ट्र के राजा-महाराजा कल आठ-नौ बजे मुझसे मिलनेवाले हैं। यहाँ जो छोटी-मोटी १८ हुकूमतें हैं, उन सब का भी अब बहुत करके यही फैसला होगा कि भई, हमें तो बम्बई प्रान्त में मिल जाना है। तो मैं महाराष्ट्र को बड़ा बना रहा हूँ, उसे छोटा नहीं बना रहा हूँ। जैसे उड़ीसा बनाया, ऐसे ही महाराष्ट्र को बनाकर मैं आपको दूंगा। फिर आप अलग हो जाइएगा । अभी आपको इतनी जल्दी क्यों है ? यदि हमें इस तरह से हिन्दुस्तान को एक महान देश बनाना है, तो पाकि- स्तान जैसे छोटे टुकड़े से आप क्यों डरते हैं ? इसमें है क्या ? लेकिन हमें दिमाग से काम लेना चाहिए और समझ-बूझकर, आपस में संगठित होकर हिन्दुस्तान को उठाना चाहिए। तब हम सारे एशिया की लीडरशिप ले सकते हैं । इसमें मेरे दिल में कोई शक नहीं है। इसलिए मेरी कोशिश यह है कि हिन्दुस्तान को एक बना लो। कुछ लोग अन्देशा करते थे कि ऐसा नहीं होगा। कुछ राजाओं के दिल में भी शंका थी अब न जाने क्या होगा। कुछ हमारे सोशलिस्ट भाई भी शंका करते थे कि हिन्दुस्तान में राजाओं को पोजीशन मिल जाएगी। कुछ लोग तो कहते थे कि अब तो राजा जो चाहे सो करेंगे और हमारी कुछ भी नहीं चलेगी। मैंने कहा कि भाई, धीरज रखो । हम आजाद हुए, राजा भी आजाद हुआ है । उसको भी अपने मुल्क का ख्याल आएगा। उसके दिल में भी स्वदेशाभिमान पैदा होगा, कुछ खुद का अभिमान पैदा होगा। हमारे हिन्दुस्तान में ही बुद्ध भगवान पैदा हुए । उनकी कितनी छोटी रियासत थी। वह रियासत भी उन्होंने छोड़ दी। अपने पास न बन्दूक रखी, न तोप रखी। लेकिन हिन्दुस्तान के बाहर तक वह पहुंच गए। वह चीन और जापान तक पहुंच गए। वह सीलोन में पहुंचे, बर्मा में पहुँचे। आप क्यों घबराते हो? इसी तरह से मैं कहता हूँ कि हिन्दुस्तान में जो धन धरती में भरा है, उसे खोद-खोदकर हमें निकालना है। यहाँ इतना धन भरा है, जो कभी किसी ने देखा नहीं होगा। और मुल्कों में इतना धन नहीं, जितना हमारी धरती में भरा है । उसको हमें निकालना है । लेकिन इसके लिए हमें मेहनत करनी पड़ेगी। एक तरफ आप मजदूरों से कहें कि काम कम करो और दाम ज्यादा मगो। इस तरह तो आप इनसालसी (दिवाला) निकालोगे । इस तरह देश का काम नहीं चलेगा। मैं तो असल में मजदूरों का भी भला चाहता हूँ।