पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मारत की एकता का निर्माण होते हैं। आस-पास बहुत लोग जमा हो गए। लेकिन वह तो अपना जो काम उन्हें करना था, उसे पूरा करके चले गए ! पिछले चन्द दिनों से उनका दिल खट्टा हो गया था और आप जानते हैं कि आखिर उन्होंने उपवास भी किया । उपवास में चले गए होते, तो अच्छा होता। लेकिन उनको और भी काम देना था तो रह गए। पिछले हफ्ते में एक दफा और एक हिन्दू नौजवान ने उनके ऊपर बम फेंकने की कोशिश की थी। उसमें भी वह बच गए थे। इस समय पर ही उनको जाना था। आज वह भगवान के मन्दिर में पहुँच गए ! यह बड़े दुख का, बड़े दर्द का समय है, लेकिन यह गुस्से का समय नहीं है। क्योंकि अगर हम इस वक्त गुस्सा करें, तो जो सबक उन्होंने हमको जिन्दगी भर सिखाया, उसे हम भूल जाएंगे। और कहा जायेगा कि उनके जीवन में तो हमने उनकी बात नहीं मानी, उनकी मृत्यु के बाद भी हमने नहीं माना। हम पर यह धब्बा लगेगा। तो मेरी प्रार्थना है कि कितना भी दर्द हो, कितना भी दुख हो, कितना भी गुस्सा आए, लेकिन गुस्सा रोककर अपने पर काबू रखिए । अपने जीवन में उन्होंने हमें जो कुछ सिखाया, आज उसी की परीक्षा का समय है। बहुत शान्ति से, बहुत अदब से, बहुत विनय से एक दूसरे के साथ मिलकर हमें मजबूती से पैर जमीन पर रखकर खड़ा रहना है। आप जानते हैं कि हमारे ऊपर जो बोझ पड़ रहा है, वह इतना भारी है कि करीब-करीब हमारी कमर टूट जाएगी। उनका एक सहारा था और हिन्दुस्तान को वह बहुत बड़ा सहारा था । हमको तो जीवन भर उन्हीं का सहारा था। आज बह चला गया! वह चला तो गया, लेकिन हर रोज, हर मिनिट वह हमारी आँखों के सामने रहेगा ! हमारे हृदय के सामने रहेगा ! क्योंकि जो चीज वह हमको दे गया है, वह तो कभी हमारे पास से जाएगी नहीं! कल चार बजे उनकी मिट्टी तो भस्म हो जाएगी, लेकिन उनकी आत्मा तो अब भी हमारे बीच में है। अभी वह हमें देख रही है कि हम लो क्या कर रहे हैं। वह तो अमर है। जो नौजवान पागल हो गया था, उसने व्यर्थ सोचा कि वह उनको मार सकता है। जो चीज उनके जीवन में पूरी न हुई, शायद ईश्वर की ऐसी मर्जी हो कि उनके द्वारा इस तरह से पूरी हो। क्योंकि इस प्रकार की मृत्यु से हिन्दुस्तान के नौजवानों का जो कॉनशंस ( अन्तरात्मा) है, जो हृदय है, वह जाग्रत होगा, मैं ऐसी आशा करता हूँ। मैं उम्मीद करता