पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/११२

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गांधी जी की शोक-सभा में १०१ आता है । कितने धीरज से, कितनी शान्ति से वह तकलीफें उठाते रहे, और आखिर आज़ादी के सब दरवाजे पार कर हमें उन्होंने आजादी दिलवाई। लेकिन इसके बाद क्या हुआ? इसके बाद खुद हमारे एक नौजवान ने उनके बदन पर गोली चलाने की हिम्मत की। यह कितनी शरम की बात है ! उसने गोली किसके ऊपर चलाई ? उसने एक बूढ़े बदन पर गोली नहीं चलाई, यह गोली तो हिन्दुस्तान के मर्म स्थान पर चलाई गई है ! और इससे हिन्दुस्तान को जो भारी जाम लगा है, उसके भरने में बहुत समय लगेगा। बहुत बुरा काम किया ! लेकिन इतनी शरम की बात होते हुए भी हमारे बदकिस्मत मुल्क में कई लोग ऐसे हैं, जो उसमें भी कोई बहादुरी समझते हैं, कोई खुशी की बात समझते हैं। जो ऐसे पागल लोग हैं, वे हमारे मुल्क में क्या नहीं करेंगे? और जब गान्धी जी के तन पर गोली चल सकती है, तो आप सोचिए कि कौन सला- मत है ? और किस पर गोली नहीं चल सकती है ? तो क्या गान्धी जी ने हिन्दुस्तान को जो आजादी दिलवाई, इसी काम के लिए? अगर हम इसी रास्ते पर चलेंगे, तो कहाँ जा कर बैठेंगे? हमारे पास क्या बाकी बच रहेगा? क्या हम आजादी को हजम कर सकेंगे? दुनिया में हमारी क्या हालत होगी? जब गान्धी जी ने दिल्ली में यह अन्तिम उपवास किया तो में तो उस रोज इधर से चला गया था। लेकिन मुझे बहुत शक था कि इस समय वह उपवास में से बचेंगे कि नहीं । और जब वह उठे और उपवास छूट गया तो बहुत खुशी हुई। लेकिन यह खुशी कितने दिन की रही? और कौन कह सकता है कि उपवास छूटने से फायदा हुआ, जब पीछे से उन्हें गोली से मरना हुआ। अगर वह उपवास से मरते, तो भी हमको बहुत शरम होती। लेकिन गोली से मरे, तो कोई थोड़ी शरम की बात नहीं है । सारी दुनिया में हमारा मुंह काला हो गया है । हाँ, यह कह सकते हैं कि यह काम एक पागल आदमी ने किया। लेकिन मैं यह काम किसी अकेले पागल आदमी का नहीं मानता। इसके पीछे कितने पागल हैं ? और उसको पागल कहा जाए कि शैतान कहा जाए, यह कहना भी मुश्किल है। लेकिन जो लोग उसके पीछे हैं, उनको और बढ़ने दें, तो मुल्क में क्या नहीं आ सकता है। यह आप लोगों के सोचने की बात है। जिसके पास हुकूमत है, उसकी तो है ही। लेकिन जब तक आप लोग अपने दिल साफ