पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१२१

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(८) पेप्सू का उद्घाटन, पटियाला १५ जुलाई, १९४८ भाइयो, आज हम लोग एक बड़े ऐतिहासिक प्रसंग पर यहां हाजिर हुए है। हिन्दुस्तान के इतिहास में आज एक नया चैप्टर (अध्याय) लिखा जाता है और इस समय पर वह नया इतिहास बनाने में हम लोगों को भी हिस्सा लेने का सद्भाग्य प्राप्त हुआ है। इसलिए इस अवसर पर हम और हमारा देश गर्व अनुभव कर सकते हैं। इस ऐतिहासिक मौके पर जो भाई जमा हुए हैं, उन्हें इस समय पर ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमारा दिल साफ कर दे। जिस पवित्र काम के लिए आज हम जमा हुए हैं, वह काम करते हुए हम किसी प्रकार का मैल अपने हृदयों में न रखें । राजा और प्रजा सब के लिए, आज हृदय-मन्थन का समय उपस्थित है। यह अवसर आज कितनी सदियों के बाद प्राप्त हुआ है। बहुत समय से भारत गुलामी में पड़ा था और आज हमें अपने जीवन में भारत को स्वतन्त्र देखने का मौका मिला है । भारत को स्वतन्त्र बनाने में जो मुसीबतें आईं, जो बिडम्बना सहन करनी पड़ी, वह सब आपने देखी है। लेकिन जब इतनी बड़ी क्रान्ति होती है, तो उसमें मुसीबतें आया ही करती हैं। हमारा तो सद्भाग्य है कि उन सब मुसीबतों से हम करीब-करीब पार निकल आए हैं। आज भी बहुत- सी कठिनाइयाँ हमारे सामने हैं। और यदि आज हम गलती करेंगे, तो हम