पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१२७

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भारत की एकता का निर्माण ठीक नहीं होगा। मैंने उन्हें समझाया कि आप को वालन्टियर बन कर मुसल- मानों को जाने का रास्ता करना चाहिए। तब अगर लोग हमारे आदमियों को रोकेंगे, तो हम देखेंगे । हमारी बात उन लोगों ने मान ली। वह चीज़ भारत के इतिहास में हमेशा याद रहेगी। इसी तरह से आज हमें स्वतन्त्र भारत का रास्ता काटना है। देश की मुसीबतों में आपको उसी तरह से काम करना है। छोटी-छोटी हुकूमतों का आपस में हिस्सा बांटने के लिए हमें लड़ाई नहीं करनी है । कौन मिनिस्टर हो, कौन न हो, कौन हाकिम हो, उस झगड़े में हमें नहीं पड़ना है। कौन कौम का सच्चा सेवक हो, हमें तो यही काम देखना है। वहीं रास्ता बनाने में हमारा कल्याण है। मैं आप को उसी रास्ते पर चलने के लिए निमन्त्रण देने आया हूँ। आज आपने देख लिया है कि यहाँ हमें जो प्रधान मण्डल बनाना था, वह भी नहीं बना । पर मुझे इस बात का कोई अफसोस नहीं है । इस काम में मुझे कोई अधीरता भी नहीं है। जब हमें लोकशासन बनाना है, डिमोक्रेसी को जन्म देना है, तो हमें धीरज से काम लेना होगा। जिन लोगों ने कभी सत्ता का अमल नहीं किया है, जिसने कभी हुकूमत देखी नहीं है, उन के पास हुकूमत लेने का पहला मौका आता है, तो वह झिझकते ही हैं। लेकिन ज़रूरी बात यह है कि अपना दिल साफ होना चाहिए। राज्य में एक पार्टी, दो पार्टी, तीन पार्टी, चार पार्टी ऐसा पक्षापक्ष बनाने का समय अभी नहीं आया है। उसके लिए अभी जल्दी मत करो। जो मुल्क लोकशासन में चलता है, उस मुल्क का इतिहास आप देखें, तो आपको पता चलेगा कि जब राज्य में काफ़ी स्थिरता और मजबूती आ जाती है, तभी वह अच्छी तरह से चलता है । लेकिन हमारे यहां अभी राज्य का पाया मजबूत नहीं हुआ और हमारा जहाज अभी महासागर के बीच में झोला ( झकझोरा) खाता है । कई लोग कहते हैं कि भारत में तो कांग्रेस का राज्य हुआ है । यह तो एक पार्टी का राज्य है, एक पक्ष का राज्य है। डिमोक्रेसी में तो दूसरा दल भी होना चाहिए । डिमोक्रेसी में औपोजीशन (विरोध ) भी होना चाहिए। यह बात ठीक है । लेकिन उसका जब समय आएगा, तब हम खुद ही कहेंगे कि औपोजीशन बनाओ। शायद हम खुद ही औपोजीशन के लीडर बनकर बाहर निकल आएँ । लेकिन आज मैं यह कहना चाहता हूँ कि अभी तक तो हमारा सब जहाज ही ढीला-ढीला है । उसको हमें टाईट (कसना) करना है । और. 5 1