पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१२८

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पेप्सू का उद्घाटन, पटियाला जब तक हमारा जहाज मजबूत न बने, हम उस पर खेल नहीं सकते । यह आप को सम्भालना है । अगली १५ अगस्त को हमारी आजादी का एक साल पूरा होगा। हमारी एक साल की आजादी में ही हम पर कितनी मुसीबतें पड़ीं। एक छोटे-से साल भर के बच्चे पर जितनी आपत्तियाँ आ पड़ीं, उतनी मुसीबतें शायद इतिहास में किसी मुल्क पर नहीं आई। हमने वह सब बोझ झेला है। और यदि हमें आजादी के इस बच्चे को मजबूत बनाना हो तो हमें उसकी सलामती की बराबर कोशिश करनी चाहिए। मैं आप से कहना चाहता हूँ कि आप इस बात का भी ध्यान रखें कि आप किस जगह रहते हैं। हमारे हिन्दुस्तान की पुरानी सरहद आज चली गई । आज हमारी नई सरहद बनी है । उस सरहद पर एक बहुत स्ट्रैटेजिक पोजीशन (महत्वपूर्ण अवस्थिति) में आप रहते हैं। यहाँ रहते हुए आपकी क्या जिम्मेवारी है ? यदि आप का अपने पड़ोसी के साथ मुहब्बत और मित्राचार होता और उसके दिल में विश्वास होता, तब भी और बात थी। आज तो अवि- श्वास भरा है । यदि दोनों पड़ोसियों में परस्पर मुहब्बत न हुई, एक दूसरे का विश्वास न हुआ, तो हमारा क्या कर्तब्य है ? क्या इन हालतों में हम आपस में लड़ सकते हैं ? तो मैं आप से यह कहना चाहता हूँ कि इस जगह पर आप लोग बैठे हैं, इसलिए आपकी सब से बड़ी जिम्मेवारी है। क्योंकि यहाँ रह कर आप हिन्दुस्तान की सरहद पर बैठे हैं। सरहद के सिपाही को हकूमत का ख्याल नहीं होना चाहिए। उसे तो सरहद की रक्षा करने का ही ख्याल होना चाहिए। जब लड़ाई होती है, तब सब एक हो जाते हैं। इसी प्रकार हमारा आज कर्तव्य है कि हम सब एक बनें। कई लोग कहते हैं कि यह जो पटियाला और ईस्टर्न स्टेट्स (पूर्वी राज्यों) का यूनियन बनाया गया, उस में किसी की नियत कुछ ऐसी है कि जिस से कि उन्हें शक होता है । पर में यह बता देना चाहता हूँ कि मेरी नियत किसी तरफ बुरी नहीं है। लेकिन मेरी एक ख्वाहिश ज़रूर है और वह यह कि जो हिन्दु- स्तान अब बना है, उसकी हमें पूरी हिफाजत करनी चाहिए। यह हर एक हिन्दु- स्तानी का धर्म और पहला फर्ज है कि वह हिन्दोस्तान को अब कभी गुलाम न बनने दे; सब कुछ देकर भी उसकी आजादी की रक्षा करे । मैं चाहता हूँ अब भारत की एकता में कोई कचाई न हो, उसकी स्थिरता में कोई कचाई न हो। हमारा संगठन भी पूरा बन जाए। उसमें राजाओं ने मेरा भा०८