पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१३२

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पेप्सू का उद्घाटन, पटियाला ११७ हुकूमत भी उसी के पास होनी चाहिए, और उसे बकवास करनेवाले को बन्द करना चाहिए। अगर वह न हो सके, तो उसके साथ वाजिब ढंग से हमें फैसला करना पड़ेगा । और उसके लिए हमारी पूरी तैयारी है। आज हिन्दुस्तान में बहुत लोग सोचते हैं कि हम क्या कर रहे हैं। हम क्यों ढील दे रहे हैं। मैं उनको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि हमारे धीरज की भी परिसीमा है । लेकिन हमारे पर ज्यादा जिम्मेदारी है, इसलिए हम अक्लमन्दी से, अच्छी नीयत से और धीरज से काम करना चाहते हैं। इसीलिए हम इतनी देर कर रहे हैं। कुछ लोग यह भी समझते हैं कि हमारी हिन्दुस्तान की सरकार में कोई मतभेद है। कोई कहता है कि हमारी सरकार में आपस में मतभेद है, हम आपस में लड़ते हैं। कोई आगे बढ़ना चाहते हैं, कोई पीछे हटना चाहते । सचाई यह है कि ऐसी कोई बात नहीं है। आज हिन्दुस्तान की सरकार कैसी भी बनी हो, उसमें कितने भी पक्षों के लोग हों, लेकिन दे सब एक राय से और एक साथ मिलकर काम करते हैं। उन में जब ऐसा मतभेद होगा कि वे एक साथ नहीं चल सकेंगे, तो मेरे जैसा आदमी उसमें नहीं रह सकेगा। मैं आपको इस बात का विश्वास दिलाना चाहता हूँ। आज हम सब इकट्ठे बैठे हैं। क्योंकि आगे हमारे सामने का पाँच मील तक का रास्ता हम सब के एक साथ इकट्ठा चलने का है। जब तक हम वह रास्ता ते नहीं कर लेते, तब तक हम एक साथ बैठे हैं। लेकिन जब हम को मालूम पड़ेगा कि अगले मील से हम अलग-अलग चलने- वाले हैं, तब हम हट जाएँगे। क्योंकि हम बेवकूफ नहीं हैं कि हम यह न समझे कि आज हिन्दुस्तान किस जगह पर बैठा है, वह किस हालत में है और उसकी जरूरतें क्या हैं। मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूँ कि अगर हमारे में कुछ लोग बेवकूफ ह, तो राजाओं में भी कोई-कोई वैसे ही बेवकूफ हैं। कोई समझते हैं कि उन्हें किसी ज्योतिषी ने बताया है कि अगस्त में यह सरकार टूट जाएगी और उन्हें मौका मिलेगा। बे यह नहीं देखते कि इतनी बड़ी सल्तनत टूट गई और किसके हाथ से वह टूटी । ऐसी बेबकूफी की बातों में आप को नहीं आना चाहिए । कोई साधु निकलता है और कहता है कि यह राजपूतों का मौका है। कोई कहता है कि यह जाटों का मौका है। ऐसी-ऐसी बातों को माननेवाले कैसे बेवकूफ हैं ? यह हमारा सौभाग्य है कि साधारण जनता में इस तरह की बेवकू फी की बातों पर विश्वास करनेवाले लोग बहुत कम हैं ।