पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१३४

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पेप्सू का उद्घाटन, पटियाला ११६ हम किसी को इस तरह आपके ऊपर लादना नहीं चाहते। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि एक-आध गलती की तो कोई बात नहीं, मगर आप अधिक गलतियां करेंगे, तो आप तो गिर जाएँगे। सिर्फ आप ही नहीं गिरेंगे, अपने यूनियन को भी आप गिरा देंगे । और अगर आप उसको गिराएँगे तो आपको तो नुकसान होगा ही, आपसे अधिक आपके मुल्क को नुकसान होगा। तो सारा हिन्दुस्तान आज देख रहा है । बाहर के लोग देख रहे हैं कि यह जो रियासतों में रेवोल्यूशन (क्रान्ति ) हुआ, उसको अब हिन्दोस्तान के लोग किस तरह चलाएँगे? हम चाहते हैं कि लोकशासन तो अपनी जगह पर रहे और देश भर में लोगों की आवाज़ से काम चले । लेकिन साथ ही हम यह भी चाहते हैं कि उसमें कोई बड़ी गलती न हो। छोटी-मोटी गलती तो खैर सभी करते रहते हैं। क्योंकि स्वराज्य चलाने का मतलब ही यह है कि गलती करते-करते सीखना। क्योंकि जिस को पानी में तैरना है, उसे एक दिन पानी में पड़ना ही है। अगर वह सदा बाहर या किनारे पर रहेगा तो वह कभी तैरना नहीं सीखेगा। इसलिए अगर डिमोक्रेसी में हमें राज्य चलाना है, तो गलतियां तो होंगी। लेकिन कोई बहुत बड़ी गलती हो जाए, तो उसका हमको भी अफसोस होगा, जिनके पास राज्य की सत्ता होगी, उनको भी अफसोस होगा, और जिन लोगों के बारे में बह गलती होगी, उन लोगों को तो दुख होगा ही। इसलिए हम उनको राज चलाने में मदद देने के लिए अनुभवी अमलदार देते हैं। उन लोगों की सलाह आपको माननी चाहिए। जैसा कि मैंने अभी कहा, आप हिन्दोस्तान की एक बड़ी महत्त्वपूर्ण सीमा पर रहते हैं। इससे आपको बहुत बड़ी जिम्मेवारी है, आपके सारे यूनियन की बड़ी जिम्मेवारी है। और जगह कोई गलती हो, तो शायद उससे कम नुकसान होगा, लेकिन इस जगह पर अगर कोई गलती हो, तो उससे बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है और उससे मुल्क को चोट लग सकती है । इसलिए आपकी इस जगह से कोई बड़ी गलती नहीं होनी चाहिए । इसके लिए आप लोगों को अपना स्वार्थ पीछे रखकर मुल्क का स्वार्थ आगे करना है। ऐसे ही आदमियों को यहाँ बैठना है । दूसरे आदमी यहाँ बैठेंगे तो गलती करेंगे । मैं आपको बड़ी अदब से कहना चाहता हूँ कि मजहब के मामले में आप नहीं जाइए । क्या आप यह समझते हैं कि हमने आज़ाद हिन्दुस्तान बनाने के