पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१३६

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पेप्सू का उद्घाटन, पटियाला १२१ वहाँ एक साल में दो दफा मिनिस्ट्री बदली । अब हम कब तक शरारत करते रहेंगे? आप जानते हैं कि पाकिस्तान में हमारे कितने लोग मर गए? कितने बच्चे, कितनी औरतें, कितनी हमारी बहन-बेटियाँ वहाँ मर गई ? कितनों की इज्जत गई ? कितनी लड़कियाँ परदेस में उड़ा ली गई? उसकी चोट तो हमारे दिल में लगी है। यह चोट रहते भी हम इस तरह से बर्ताव करेंगे, तो हम मुल्क की क्या सेवा कर सकेंगे? मैं तो चाहता हूँ कि यहाँ जो मिनिस्ट्री बनती है, उसमें और पंजाब की मिनिस्ट्री के बीच में पूरी मुहब्बत होनी चाहिए । दोनों हुकूमतों को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए । असल में दोनों हुकूमतें तो एक ही हैं। अब दोनों ही हिन्दोस्तान की सरहद पर बैठे हैं । अगर आप आपस में लड़ते रहे, तो हमारा काम किस तरह चलेगा ? तो में तो इन सब बातों के लिए इधर आया हूँ। मैं चाहता हूँ कि आप समझ लें कि आप के ऊपर बड़ी भारी जिम्मेवारी है । हमने यह यूनियन बनाने का काम तो कर लिया, लेकिन यह काम हमने इस उमीद से किया है कि यहाँ आप इस तरह से चलेंगे कि जिस में आपकी भी इज्जत बढ़े, और मुल्क की भी इज्जत बढ़े। राजाओं की तरफ़ से तो हम को सयोग का हाथ मिल ही रहा है। आपकी तरफ से भी मैं उमीद करता हूँ कि दिल की सफाई करके आप को हमारा साथ देना है। न दोगे, तो भविष्य की प्रजा आप को शाप देगी और इतिहास कहेगा कि उन लोगों को आजादी तो मिली, लेकिन वे नालायक लोग थे। ऐसा कभी नहीं होना चाहिए। तो इस जगह पर आज हमें अपना दिल साफ कर ईश्वर को हाजिर- नाजिर समझकर प्रतिज्ञा करनी है कि हम मुल्क की सेवा के लिए एक होकर आगे चलेंगे, ताकि सारा मुल्क आगे बढ़े। हमने अगर ऐसा किया तो भविष्य के लोग कहेंगे कि हमारे पूर्वज लोग लायक थे। जिन राजाओं ने उदारता और शराफत से अपने अधिकार छोड़े हैं, भविष्य की प्रजा उन पर अभिमान करेगी। राजा लोग भी यह अनुभव करेंगे कि हमने जो कुछ किया, ठीक किया । आज मैं जिस नये यूनियन का इनऑग्यूरेशन (उद्घाटन ) कर रहा हूँ, उस का नया कान्स्टिट्यूशन ( संविधान) बना है। उसमें महाराजा पटियाला महाराज प्रमुख हैं और यह मेरे पास, मेरे दाहिने हाथ, कपूरथला के महाराज बैठे हैं, वह उपराज-प्रमुख हैं। उन्हें और पटियाला महाराज को मुझे एक सौगन्ध करानी है, यह मेरे पर बहुत बड़ी जिम्मेवारी है । मैं कौन हूँ? मैं