पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भारत की एकता का निर्माण तो उनकी रैयत होना पसन्द करता ! लेकिन मुझ को आज उनका स्वागत करने का मौका मिला है। उनके ऊपर इतनी बड़ी जिम्मेवारी है। हम दोनों मुल्क के सेवक बनना चाहते हैं, और सच्चा सेवक बनना चाहते हैं। इसलिए में न तो किसी राजा की हैसियत से, न किसी लीडर की हैसियत से काम करता हूँ। हम दोनों हिन्दुस्तानी की हैसियत से काम करते हैं। मैं उमीद करता हूँ कि आप लोग भी इसी हैसियत से इस चार्ज को समझ लेंगे। आप समझ जाएँगे कि आज हर हिन्दुस्तानी के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी है। तो में पटियाला महाराज को प्रतिज्ञा करने के लिए बिनती करूंगा। आज आप यह प्रतिज्ञा लेंगे और बाद में महाराज अपनी मिनिस्ट्री से यह प्रतिज्ञा करवाएंगे। यह जो स्टेटों का संगठन करना है, उसमें कोई एक या सवा महीने का समय लगेगा। लेकिन उसके पहले आज से जो काम शुरू करना है, उसमें यह दो प्रमुख राज प्रमुख और उपराज प्रमुख बन जाएंगे और वे अपनी प्रतिज्ञा ले लेंगे। उसके बाद यह जो प्रजा मण्डल और बाकी संस्थाएँ हैं, उनके लोग आपस में मिलकर एक हफ्ते में अपनी मिनिस्ट्री के नाम दे देंगे। उसके बाद मिनिस्ट्री को सौगन्ध दी जाएगी। हम जो यह काम कर रहे हैं, उसमें हमारे सामने एक दिक्कत है। आज प्रजा के चुनाव से यहाँ कोई संस्था नहीं है । अपने प्रान्तों में हम लोग जिस तरह चुनाव करा रहे हैं, इस तरह से इधर कोई ढंग नहीं है । तो यहाँ म चुनाव से किसी को लीडर नहीं बना सकते हैं। सवाल यह है कि हम खुद कैसे लीडर पसन्द करें ? तो यहां जो छोटी-छोटी संस्थाएँ हैं, उन्हीं के आपस के मेल-जोल से यह काम करना चाहिए । इस बारे में मुझ पर और महाराज पर बहुत बोझ डाला गया है। महाराज ने और मैंने इंकार कर दिया कि यह हमारा काम नहीं है । आप लोगों को यह जिम्मेवारी लेनी है कि यहां मिनि- स्टर कौन बने, प्रधान कौन बने । यह आप लोगों का काम है। यदि आप से नहीं बनेगा, तो फिर जिस तरह हमने और कई जगहों पर किया, इसी तरह से इधर भी करना पड़ेगा। आज आप को एक और बात भी समझनी है। बह यह कि आज जो चीज बनेगी या कुछ दिन बाद जो मिनिस्ट्री बनेगी, वह इन्टैरिम ( अन्तरिम) मिनिस्ट्री होगी, वह ज्यादह दिन के लिए नहीं होगी। भारत के सब नागरिकों को मताधिकार दिया जाएगा और इसके बाद नया चुनाव होगा। वह चुनाव