पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कलकत्ता हम काम करें, तो वह बहुत बड़ा काम होगा । इस चीज़ में हम अपनी सारी शक्ति लगाएँ, उसके लिए हमें मौका मिलना चाहिए । पन्द्रह अगस्त के बाद दोनों देशों में जो काम हुआ है, वह इस प्रकार का काम हुआ है कि उससे दुनिया के सामने हमें सिर झुकाना पड़ा, हमको शर्मिन्दा होना पड़ा । लेकिन उसके बावजूद भी पिछले पाँच-छ: महीनों में हमने काफी काम किया है । चन्द महीनों में सारे मुल्क के दो हिस्से करना, दो बड़े-बड़े प्रान्तों के दो हिस्से करना और इस प्रक्रिया में सारी हुकूमत के और सारी सामग्री के दो टुकड़े करना, देश के सम्पूर्ण कर्ज, लेन-देन और जायदाद के दो हिस्से करना, यह कोई आसान काम नहीं था। हमने थोड़े दिनों में यह काम किया और इसके लिए हम किसी अदालत में नहीं गए । हमने आपस में बैठ कर ते कर लिया। इतनी लड़ाई होते हुए भी हमने यह काम किया । साथ ही साथ कोई साठ-सत्तर लाख आदमी इस तरफ से उस तरफ को चले गए, और लगभग उतने ही आदमी उस तरफ से इस तरफ को चले आए। तो यह बहुत बड़ा काम था । दुनिया में कोई भी हुकूमत अगर उस काम के बोझ से दब जाती, तो उसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं थी । यह काम तो हमने किया, मगर अभी जो बहुत जरूरी काम करना बाकी है, वह है हिन्दुस्तान की हवा साफ करना। क्योंकि अब आजाद हो जाने के बाद भी हम अगर इसी काम में फंसे रहे, इसी तरह आपस में झगड़ा करते रहे, तो कोई काम नहीं होगा। आप यह जानते हैं कि हिन्दुस्तान में आज क्या हालत है । देश को अगर आप देख लें, तब आपको मालूम पड़ेगा कि हमें जो काम करना चाहिये, वह हम नहीं करते और उससे हमें नुकसान होता है। उस नुकसान को हमें रोकना है। तो वह क्या काम है ? आप जानते हैं कि हमारे मुल्क में खुराक की कमी है और खुराक परदेस से लानी पड़ती है। और इसमें हमें बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है । बाहर से आनेवाली खुराक के लिए हमें बहुत दाम देना पड़ता है और उस खुराक को अपने मुल्क तक लाने के लिए भी हमें बहुत ज्यादा दाम देने पड़ते हैं। हमारे मुल्क में खुराक की जो कीमत है, उससे बहुत ज्यादा दाम हमें देना पड़ता है । यह काम हमारे लिए खतरनाक है । दूसरा काम यह है कि यदि हमें अपनी आजादी हज्म करनी हो, तो बड़े पैमाने पर हमारे पास अच्छा फौजी सामान होना चाहिए । आर्मी (फौज),