पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१४५

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१३० भारत की एकता का निर्माण हम इनको समझा देंगे । तब हमने भी मान लिया। लेकिन लायकअली ने एक ओर तो दस्तखत किया, दूसरी ओर वह पाकिस्तान के साथ अपने २० करोड़ रुपये के लोन की बातचीत चला रहा था। हम से यह बात छिपाई गई थी। उसके बाद एक-एक करके जो काम उसने किए, उन सब का बयान हमने एक व्हाइट पेपर में निकाला है। वह सब बातें सुनाकर मैं आपका समय नहीं लेना चाहता। लेकिन में आपको यह ज़रूर कहना चाहता हूँ कि दुनिया में कोई ऐसी गवर्नमेंट नहीं होगी, जिसने जितनी ढीली रस्सी छोड़ी हो, जितनी इस किस्से में हमने छोड़ी। कम-से-कम अंग्रेज तो कभी ऐसा नहीं करते । जिस प्रकार की कार्रवाई हैदराबाद में हुई, वहाँ जितना लूट-पाट, अत्याचार और स्त्रियों पर बलात्कार हुआ, उसे कोई बरदाश्त नहीं कर सकता था। लेकिन हमी जानते हैं कि हम क्यों इस खतरे में पड़े । हम नहीं चाहते थे कि हिन्दू मुसलमान में फिसाद हो । लेकिन जितनी ज्यादा कोशिश हमने को, उतना ही उन लोगों ने समझा कि ये कमजोर हैं और इन से कुछ होनेवाला नहीं है । वे समझे कि हम लड़ नहीं सकते। हमने बार-बार उनसे कहा कि भाई, जो हाल जूनागढ़ का हुआ, वैसा ही तुम्हारा हाल भी होगा। लेकिन वे हंसते थे। अब हम क्या करते? जब आखिर कोई उपाय बाकी न रहा, तब मने नोटिस दे दिया। उसके बाद जो काम हुआ, वह तो आपने देखा ही है । हैदराबाद के पुलिस एक्शन को दुनिया में गलत रूप से पेश करने की कोशिश हुई है । हैदराबाद में भी गलतफहमी फैलाने की कोशिश की गई । अब हमारे प्राइम मिनिस्टर साहब वहां जा रहे हैं। आशा है उनकी नेकनीयती, सचाई और काबलियत से सारी गलत-फहमी दूर हो जाएगी। हिन्दुस्तान में एक भी आदमी ऐसा नहीं है, जो अपने दिल में यह समझता हो कि हमने हैदराबाद के साथ कोई बुराई या नालायकी की है। जब हमको यह कहा जाता है कि हमने आक्रमण किया है, तो यह समझ नहीं आता कि हमने किसके ऊपर आक्र- मण किया है। हिन्दुस्तान के अपने ही एक हिस्से पर, जो अपना ही हिस्सा है, जो लोग अपने ही हैं, उन पर आक्रमण कैसा? उसका माइना मेरी समझ में नहीं आता । लेकिन कई लोग यह समझाना ही नहीं चाहते । ईश्वर की बड़ी दया हुई, जो सारा काम ठीक से पूरा हो गया । अब देखें कि आज हमारी हालत क्या है। यह ठीक है कि हिन्दुस्तान अब एक बन गया है और कोई खतरा बाकी नहीं रहा, कहीं कोई फिसाद अब नहीं