पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१४८

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3. इम्पीरियल होटल, नई दिल्ली अब तो हमें हिन्दुस्तान को इस तरह ठीक बनाना है कि जिसमें हम आगे ही बढ़ते जाएँ। और अगर हम बढ़ने का सामान पैदा न करें, तो यह मानपत्र नहीं है, यह अपमान-पत्र है । मैं तो यह कहता हूँ कि हिन्दुस्तान के जिन लोगों के पास इल्म है, उन लोगों को समझना चाहिए कि वे आपस में झगड़ा करना छोड़ दें। दूसरी बात हमने यह की है कि हिन्दुस्तान में एक प्रकार से शान्ति हो गई है और हमारा काम अब पुलिस से चल सकता है। इधर बहुत दिनों से इन्टरनल आर्डर (आन्तरिक व्यवस्था) के लिए मिलिटरी (सेता) की जरूरत नहीं रही, और न रहनी चाहिए । एक अच्छे राज्य में इस तरह इन्टरनल आर्डर के लिए मिलिटरी का उपयोग नहीं करना चाहिए । कभी-कभी करना भी पड़ता है। लेकिन यह मौका नहीं है कि म आराम से, चैन से, सो जायें और यह समझ लें कि यह काम हो गया तो सब ठीक है । हमारे आस-पास अशान्ति है, दुनिया में बहुत जगह पर अशान्ति है, हमारे पड़ोस में दोनों तरफ अशान्ति है। अपने बोर्डर (सीमा) पर देखिए। मैंने परसों एक स्पीच दी थी, उसमें मैंने बर्मा की जिक्र किया था। जो कुछ मैं तब कहना चाहता था, ठीक तरह से उसका ‘भाव उस स्पीच में नहीं आया था। उससे कुछ गलत-फहमी हुई । मैंने कहा 'था कि रंगून से दस मील पर बर्मा की गवर्नमेंट को शान्ति रखने के लिए फायर करना ( गोली चलाना ) पड़ता है और वहां नार्मल गवर्नमेंट नहीं है। दस मील तक ठीक । क्योंकि मैने अखबार में देखा है कि वहां रंगून के बाहर जो बन्दूक छूटती है, उसकी आवाज रंगून में सुनी जाती है । तो वह डिस- आर्डर ( अन्यवस्था ) है, जिस के लिए वहां एक साल की गवर्नमेंट को फायर करना पड़ता है । हमारे यहां भी एक साल की गवर्नमेंट है। हमारे पास आसाम से और कलकत्ता से चिट्ठी आती है कि वहां कलकत्ता और आसाम में काम करने वाले कम्यूनिस्टों का आपस में सम्बन्ध है। हमारे पास बार-बार, इस प्रकार की इन्फार्मेशन ( सूचना ) आती रहती है । हैदराबाद में तो दो डिस्ट्रिक्ट ही उन लोगों ने अपने कब्जे में कर लिए थे। कहते हैं कि अगर हम और देर से गए होते, तो वहां इस प्रकार की अराजकता और ज्यादा फैली होती। अब भी अगर हम सावधान न रहें तो हमारा हाल भी बुरा हो जाएगा। तो हमें सोच- समझ कर अपना काम सँभालना है। मैं हिन्दोस्तान में रहनेवाले सब लोगों को, खास तौर से कहना चाहता