पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१४९

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भारत की एकता का निर्माण हैं कि आप यह न समझिए कि यह गवर्नमेंट तो कैपिटलिस्ट की है, हालांकि बार-बार आप लोगों को ऐसी बातें कही जाती है। लेबर में काम करने वाले हमारे कई दोस्त, जो हमारे साथ मिलते नहीं हैं, अपने अलग ख्यालात रखते हैं। आज हमारा जो लीडर ( हमारे प्रधान मन्त्री ) है, वही ट्रेड यूनियन कांग्रेस के पहले प्रेसीडेन्ट थे, उन्होंने उसकी बुनियाद डाली थी । उनसे बढ़कर मजदूर का हित चाहनेवाला कोई और मैने नहीं देखा है। अब जब यह बात लोगों के ख्याल में आती है, तब कहा जाता है कि उनका प्रधान मंत्री का) तो कुछ चलता नहीं, वहां तो गवर्नमेंट में दो पार्टियां हैं। छोटे दिल के और पागल लोग ऐसी-ऐसी बातें करते हैं। ये समझते हैं कि हम ऐसे बेवकूफ हैं कि मुल्क की आज़ादी के लिए जिन्दगी भर साथ रहने के बाद अब हम आपस में इस प्रकार की लड़ाई कर लेंगे और अपनी दो पार्टियां बनाएंगे। यदि मैं अपने लीडर का साथ न दे सकूँ और उनका पैर में मजबूत कर सकू तो मैं एक मिनट भी गवर्नमेंट में न रहूँगा। यह मेरा काम नहीं है। इस तरह की बेवफाई करना मेरे चरित्र में नहीं है । क्योंकि अपने जिन लीडर ( महात्मा गान्धी ) के पास से मुल्क की सेवा का धर्म मैंने सीख लिया है, उसमें इस प्रकार की बेवफाई आ जाए, तो मुझे अपघात ( आत्महत्या) कर लेना चाहिए। लेकिन बार-बार छोटे दिल के आदमी ऐसी बातें करते हैं और भोले-भाले आदमी उनकी बात मान भी लेते हैं। हां कभी-कभी तो किसी बात के बारे में हम दोनों अपनी अलग राय भी रखते हैं। हर एक बात के बारे में हम एक दूसरे के साथ मशविरा करते हैं, नहीं तो ज्वाइंट रिस्पौंसिबिलिटी ( इकट्ठा उत्तरदायित्व ) कैसी होती है ? डेमोक्रेसी में मशविरा ही तो किया जाता है। हम सब आपस में अलग- अलग राय रखते हैं और हर सवाल पर एक दूसरे के साथ मशविरा करते हैं। नहीं तो ज्वाइंट रिस्पौंसिबिलिटी कैसे चले ? ऐसा न हो तो यहां जो पुराना राज चलता था, जिसे आटोक्रेसी ( निरंकुशता ) राज कहते हैं, वैसा चले। तो ये सब गलत ख्याल है। तो मैं मजदूरों से बड़ी अदब से अपील करता हूँ और यह कहना चाहता हूँ कि बहुत दफ़ मेरे पर जो यह अटैक ( आक्रमण ) होता है कि यह तो बिड़ला जी का साथी है, अमुक का साथी है, यह सब गलत है। मैंने जब से गान्धी जी का साथ किया, तब से यह एक प्रतिज्ञा ले ली कि अपनी मिल्कियत में कोई नहीं रक्खूगा। यह उनके पास से मैंने सीख लिया और उससे बढ़ कर सोशलिज्म