पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१५४

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इम्पीरियल होटल, नई दिल्ली १३६ कि यह दिल्ली हमारा शहर है, इसमें कुछ भी गड़बड़ होती है तो उससे हमारी बदनामी होती है, हमारी गवर्नमेंट की बदनामी होती है । हमारे शहर में हर मुल्क के एम्बेसेडर्स (राजदूत) आकर बैठे हैं। यहां तो गान्धी जी के आदर्श राज्य के मुताबिक चलना चाहिए । सब लोग मिल-जुल कर अदब से, और सभ्यता से बात करें। न कोई ऊँची आवाज से बात करे, न कोई किसी से लेने-देने की बात करे। सब काम सफाई से करें। रात और दिन छोटे-छोटे बच्चे-बच्ची भी सब जगह निर्भय होकर घूम-फिर सकें। किसी को किसी से नफरत न हो, किसी को कोई दुख न हो, इस प्रकार का राज्य हमारे शहर में होना चाहिए। पुलिस की क्या ज़रूरत है? तो मैं आप सबसे, खास करके दिल्ली निवासियों से, हृदय से अपील करता हूँ कि सही स्वागत तो यह होगा कि जो हम चाहते हैं, उसमें आप हमारा साथ दें। तभी हम आगे बढ़ सकते हैं। एक दफा फिर मैं आप सब का शुक्रिया अदा करता हूँ।