पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१५८

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गुजरात और महाराष्ट्र समाज के अभिनन्दनोत्सव में १४१ होने से एक बदकिस्मती भी साथ मिली । इसीसे आज़ादी से जो खुशहाली होनी चाहिए, वह खुशहाली हम लोगों को नहीं मिली। यह शायद हमारे पूर्व पापों का फल होगा, या हमारी ही कुछ त्रुटियां होंगी कि जैसा हमने कभी अनुमान भी नहीं किया था, उस प्रकार का वायुमण्डल पैदा हो गया, जिसमें बहुत-सी खून-खराबी हुई और दुनिया में कम-बेश हमारी बदनामी भी हुई। हर कौम या हर राष्ट्र खाली अपनी तलवार से वीर नहीं बनता । तलवार तो अपनी रक्षा के लिए जरूरी बात है, लेकिन राष्ट्र की प्रगति का माप उसकी नैतिक प्रगति से ही किया जा सकता है। पिछले कितने ही सालों से दुनिया में हमारे मुल्क की इज्जत बढ़ गई, वह हमारे एक महान् व्यक्ति की उच्चता का फल था। वह हमारे महान् नेता सारी दुनिया को नैतिक उपदेश देते रहे और हमारे मुल्क में तो रात-दिन उसका प्रचार होता रहा। तो अकेले गान्धी जी की तपश्चर्या, उनकी नैतिक शक्ति और आत्मशक्ति से हमारे गुलाम देश की भी इज्जत बढ़ गई । उनके तपोबल से हमारे देश का नैतिक स्तर भी ऊँचा उठ गया था। लेकिन पिछले साल हम झगड़े में पड़ गए और उससे खून-खराबी हुई। गुलामी से छूटने में जो बुराइयां और मुसीबतें आई, उन्हें हम छोड़ भी नहीं सकते थे। जब हमारा हाथ पत्थर के नीचे पड़ा हो, तो उसे निकालने में मुसी- बत तो होती ही है । तो गुलामी हटाने में जो मुसीबतें आईं, उसमें बहुत-से ऐसे काम हुए, जिनसे हमको नुकसान हुआ। लेकिन आज उस सब चीज़ में से हमारा देश निकल आया है। अब एक टुकड़ा हमने अलग कर दिया, जो लोग हमारे साथ नहीं रहना चाहते थे, उनको हमने अलग कर दिया और कहा कि भाई खुशी से मज़े से अपना काम करो। देखो, उसका भी स्वाद देखो कि उसमें क्या मिठास है ? जब आप यह कहेंगे कि हम से गलती हुई, तब हम दोनों सोचेंगे। लेकिन अगर आपको लगे कि गलती नहीं हुई, और यह जो जहर के प्रचार पर आपने सारी रचना की, उसी पर आपको चलना हो, तो रहो। क्योंकि हमें मालूम है कि कोई कौम जहर के प्रचार पर जिन्दा नहीं रहती। प्रेम पर, चरित्रबल पर और नीति पर ही कौम ज़िन्दा रहती है। जब आसपास ऐसी हालत है कि हमारा मुल्क सलामत नहीं है, तो हमारे मुल्क की रक्षा का इन्तजाम पूरा होना चाहिए। वह न करें, तो जिसके पास राज की लगाम है, वह गुनाहगार | जाएगा। अब आजकल सत्ता हमारे हाथ में है, तो हमारा यह धर्म हो जाता है कि हम मुल्क की हिफाजत करें। लेकिन