पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१६३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भारत की एकता का निर्माण लोग है, वह मजदूरी का दाम ज्यादा मांगते हैं। वे मांगेंगे भी, क्योंकि उनको भी खाने-पीने का सामान चाहिए । उनको भी आज आजादी मिली है। आज तक तो वे गुलाम थे और उनको बन्दूक से डराकर काम चलाया जाता था। अब तो मुहब्बत से ही काम चल सकता है। व्यापारी लोग हैं, उन्होंने पिछली लड़ाई में कुछ पैसा बनाया और अभी भी उनकी पैसा बनाने की वह आदत छूटती नहीं। क्योंकि जहां ज्यादा लालच हो जाता है, वहां नैतिक बन्धन छुट जाता है। हमारे व्यापारी आज भी ज्यादा लेने की कोशिश करते हैं। अब इसी प्रकार जो चलता गया और हम उसी ढंग से चलते गए तो हम खड्डे में गिर जाएँगें। फिर लोग अंग्रेजों के राज की याद करने लगेंगे और यहां तक कह्न लगेंगे कि हमको आजादी तो मिली, लेकिन उससे गुलामी ही अच्छी थी। ऐसा कभी नहीं होना चाहिए । हमारा नक्शा तो अब एक हो गया। लेकिन अब हमारा धर्म है कि हम आगे बढ़ें। तो उसके लिए क्या करना चाहिए? सब से ज़रूरी बात तो यह है कि अब हम मुल्क में कोई फिसाद न होने दें। झगड़े का जितना भी जहर हो, वह हम अभी छोड़ दें। पीछे देखा जाएगा। अभी तो जरूरत है कि हमारे मुल्क में ताकत आए और भाई-भाई सब तगड़े हों। जब तगड़े हो कर वे लड़ेंगे तो लड़ने में भी कुछ मजा होगा। लेकिन मुर्दा क्या लड़ेगा? आज हमारे पास कोई ताकत नहीं है और इसी कारण दुनिया में हमारी अभी तक ऐसी कोई इज्जत भी नहीं है । तो आज अगर हम अपने मुल्क की ओर सब से अधिक ध्यान देकर मुल्क में अधिक-से-अधिक धन पैदा नहीं करेंगे, तब तक हमारा काम नहीं चलेगा। जितना अनाज खाने के लिए चाहिए, उतना आज हमारे यहां पैदा नहीं होता। इसी कारण परदेस से हम अन्न मँगवाते हैं। अब परदेसी लोग समझ गए हैं कि हिन्दुस्तान में खाना नहीं है । आजादी से पहले एक साल में बंगाल में तीस लाख आदमी भूख से मर गए थे। दुनिया के लोगों का बराबर ख्याल है कि इधर दुष्काल पड़े, तो लोग कीड़ी के माफिक मरते हैं। तो जब वे जानते हैं कि हिन्दुस्तान के पास पूरा अनाज और धान नहीं है, तो वे हम से पूरा दाम लेते हैं। हमें भी अपनी नाक बन्द करके पूरा दाम देना पड़ता है। इसी प्रकार जितना कपड़ा हमको चाहिए, उतना कपड़ा हमारे यहां पैदा नहीं होता। गांधी जी ने तो बार-बार कहा और जब से वह हिन्दुस्तान में आए थे तभी से यहां चर्खा लेकर बैठे थे कि भाई अपना कपड़ा आप पैदा करो। लेकिन कोई उनकी -