पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१६४

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गुजरात और महाराष्ट्र समाज के अभिनन्दनोत्सव में १४७ बात माने और करे, तब तो काम हो । गान्धी जी की जय सारा देश बोलता था, लेकिन कपड़ा पैदा करने के लिए चन्द आदमियों ने ही चर्खा चलाया । जब जनता ने चरखे को नहीं अपनाया, तो व्यापारियों ने भी पूरा फायदा उठाने की कोशिश की। हम सब को अब यह समझ लेना चाहिए कि कम-से-कम पांच साल तक हमें आपस में मिलकर मुल्क का काम करना है और इसके लिए अपने स्वार्थ का थोड़ा-सा त्याग करना है । गान्धी जी ने तो अपनी सारी लड़ाई त्याग के ऊपर बनाई थी। उनका कहना था कि कुर्बानी करो। जेल में जाना पड़े तो अपने कुटुम्ब की भी परवाह मत करो। फांसी पर जाना पड़े, तो फांसी पर जाओ। लेकिन इस परदेसी हुकूमत से निकल जाओ । मुल्क ने वह तो किया और परदेसी हुकूमत से भी छूट गए। जिन लोगों ने कुर्बानी की, वे लोग अब यह समझते हैं कि भई, हमें उसका बदला मिलना चाहिए। वे कहते हैं, हम जेल गए थे, हम को कुछ दो। हमारी मिल्कियत गई थी, वह हमको दो। हमारे लोगों में ऐसी भावना पैदा हो गई है। तो भाई, लोभ तो पाप का मूल है । सन्तों का कहना है कि लोभ से पाप की भावना पैदा हो जाती है। लोभ ही से ईर्ष्या होती है । ईर्ष्या से हम झगड़े में पड़ जाते हैं और तब हम एक दूसरे से डरने लगते हैं। लोभ ही के कारण पहले हम व्यक्ति से डरते हैं, फिर प्रान्तों से डरने लगते हैं। हमारे देश में अगर प्रान्तीय भावना बढ़ गई, तो हमारे मुल्क के लिए बहुत खतरा पैदा हो जाएगा। हमने पहले भी अपने मुल्क को इसी तरह गुमाया था। तभी परदेसी इधर आए थे। हम लोग आपस में लड़ते रहे, इसी से परदेसी इधर आए । जब अंग्रेज आए, तो एक कौम ने उनका साथ दिया, कभी एक राजा ने उनका साथ दिया, कभी दूसरे राजा ने । वे जमा होकर यहां बैठ गए, और हम एक दूसरे से लड़ने लगे । अब ऐसा नहीं होना चाहिए । नहीं तो इतनी मेहनत के बाद आजादी का जो मौका हमें मिला है, वह हाथ से चला जाएगा। यों बाहर की चिन्ता आप छोड़ दीजिए, क्योंकि आज जो वातावरण है, उसमें हमें मिलिटरी और आर्मी से मुल्क की रक्षा करनी है। उसके लिए आप की गवर्नमेंट को देखना है, और आपको उसकी परवाह नहीं करनी है। हम उसका बराबर बन्दोबस्त करेंगे । हमारे मुल्क के ऊपर कोई बाहर से हल्ला