पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१८

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कलकत्ता १५ 3 जो कुछ प्राप्त किया है, इस तरह वह सब गिर जाएगा। उससे किसी को कोई फायदा नहीं होगा। तो मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि हमारे पास तो करने को बहुत काम पड़ा है । अभी हमारा और पाकिस्तान का रिश्ता कैसा है, वह भी आप जानते हैं। काश्मीर में आज हमारी कैसी हालत है, वह भी आप जानते हैं। और जगह के हालत भी आप जानते हैं। यह तो ईश्वर की मेहरबानी है कि आप लोगों ने कुछ संभाल लिया। नहीं तो यदि पूर्वी और पश्चिमी बंगाल में एक साथ झगड़ा हुआ होता, तो यह फिर से लाखों आदमियों का मामला हो जाता । तो आपको समझना चाहिए कि हम बहुत नाजुक समय में से गुजर रहे हैं । हिन्दुस्तान की हालत अभी बहुत नाजुक है। उस समय पर आपको कोई गड़बड़ नहीं करनी चाहिए । हां, आपको अगर कोई शिकायत है, तो उसके लिए धीरज से काम लीजिए। जल्दबाजी में बना-बनाया काम न बिगाड़ दीजिए। देश का ध्यान रख कर आप बरदाश्त से काम लीजिए। दो सौ साल तक परदेशियों की गुलामी को। अब अपने लोग आए, तो दो-चार महीनों में इन लोगों ने इतना क्या बिगाड़ दिया? इस तरह से क्यों काम करते हो? इस तरह तो हमारा काम नहीं चलेगा। मैंने आपसे जो कुछ कहा, उसके बारे में मैं आपको मिसाल देना चाहता हूँ। चन्द रोज हुए, मध्यस्थ सरकार के हमारे इण्डस्ट्री ( उद्योग ) के मिनिस्टर ने एक कान्फरेंस बुलाई थी। उसमें देश भर से लेबर (श्रम) के मिनिस्टरों और प्रतिनिधियों को बुलाया था, साथ ही उद्योगपतियों को भी बुलाया था। इस कान्फरेंस में इस बात पर विचार किया गया कि उद्योगपतियों को क्या करना चाहिए तथा लेबर को क्या करना चाहिए । बहुत सोच-विचार के बाद सब ने मिलकर फैसला किया कि हमें तीन साल तक के लिए एक टूस (सन्धि) करना चाहिए। दोनों ने कबूल किया कि तीन साल तक हम हड़ताल नहीं करेंगे। अब यह फैसला करने के बाद सब लोग घर चले गए। दो दिन के बाद लेबर के प्रतिनिधि बम्बई में पहुँचे और वहां उन्होंने रेजोल्यूशन ( प्रस्ताव ) पास किया कि बम्बई में एक रोज की हड़ताल की जाए। इस तरह दूसरे ही दिन उन्होंने अपना वायदा तोड़ दिया। अब इससे क्या फायदा हुआ? वे शायद समझते हैं कि ऐसा करने से वे सिद्ध कर देंगे कि वही मजदूरों के प्रति- निधि हैं। मगर ऐसा करने से यह सिद्ध कहाँ होता है ? एक रोज छुट्टी मिले