पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१८१

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१६४ भारत की एकता का निर्माण हमारे पड़ोस में ब्रह्मा, मलाया, हिन्दचीन और चीन है। वहाँ क्या आप शान्ति देखते हैं ? आस-पास शान्ति नहीं है । साथ ही हमारे पड़ोसी की नीयत भी अच्छी नहीं है । तो इस प्रकार के वातावरण से जहर पैदा होता है। मैं बम्बई निवासियों के सामने इस चीज़ को बड़े संकोच के साथ रखता हूँ। यह मेरा पर्सनल ( व्यक्तिगत ) कार्य नहीं है। लेकिन आज हमें मुल्क के प्रान्तों को ठीक रूप में अलग करना है । लोग कहते हैं कि यह काम तुरन्त करो, जिस तरह हो सके, करो। यह करने में भाषा की मर्यादा भी नहीं रखनी है। कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि बम्बई को बलिन बना दो। इसका मायना यह है कि हम हिन्दो- स्तान को खत्म करेंगे। यह तो ऐसी बात हुई कि लक्ष्मी तिलक करने आई, तो हम कपाल धोने के लिए चले गए! मेरी बड़े अदब से आपसे प्रार्थना है कि आप यह सोचें कि जब हम गुलाम थे, तब तो बड़ी मुहब्बत से रहते थे और जब आजाद हुए, तब आपस में क्यों लड़ें ? मैं अखबार वालों से और आप सभी से प्रार्थना करता हूँ हमें इस तरह काम नहीं करना चाहिए। इस रास्ते से हमारा हिन्दुस्तान गिर जाएगा और हमारी भविष्य में आनेवाली प्रजा हमें श्राप देगी कि हम ऐसे लोग थे कि एक महान पुरुष ने अपनी तपस्या से हिन्दुस्तान को आजादी दिलवाई और अपना प्राण समर्पण कर दिया और जब आजादी मिल गई, तब हम ऐसे गल्त रास्ते पर चले। ऐसा नहीं होना चाहिए। जो काम हमने एक साल में किया, उसके बारे में बड़ी-बड़ी बातें करने से काम नहीं चलेगा। आगे क्या करना है, यह भी हमें देखना है । जो कोई अपनी पुरानी पूंजी पर ही खाता खोलता है और पूंजी का सही उपयोग नहीं करता है, वह आखीर में इन्सालवेंट ( दिवालिया) जाता है । तो तुरन्त ही हमें यह सोचना चाहिए कि हमारा दूसरा कदम क्या होना चाहिए । आज हमारे सामने सबसे बड़ा प्रश्न क्या है ? सबसे बड़ा प्रश्न तो हिन्दुस्तान की शान्ति है, जिसमें हमें काफ़ी कामयाबी भी मिली है। फिर भी इस शान्ति को मजबूत बनाओ । उसके लिए आपस में स्नेह, प्रेम और मेल चाहिए। दूसरा बड़ा प्रश्न बहुत विकट है। उसी से हम सबसे ज्यादा परेशान हैं । वह यह है कि हिन्दुस्तान में जितना अनाज चाहिए, उतना नहीं है, इसलिए बाहर से लेना पड़ता है। इस काम के लिए हमें नाक बन्द करके दाम देना पड़ता है, सो देते हैं। करोड़ों रुपया हमें बाहर देना पड़ता है और बहुत सा रुपया जहाज के किराये पर ही लग जाता है। करीब १५, १६ करोड़ रुपया तो अनाज लाने