पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१८८

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चौपाटी, बम्बई १७१ देता है कि बजट में कितनी कमी है, कितना टैक्स लगाना चाहिए आदि और तीसरा चीफ़ सेक्रेटरी (मुख्य सचिव)। ये तीनों आदमी हम सिविल सर्विस के अफसरों में से देते हैं। तो भी, इतना कम होते हुए भी स्टेटवाले क्या कहते ? वह डरते हैं और कहते कि भाई साहब, यह तो बाहर के आदमी आप हमारे ऊपर ले आए । क्या हम बाहर के आदमियों को कबूल करें ? इससे तो हमारी स्वतन्त्रता पर लात पड़ती है। इससे अगले इलेक्शन ( निर्वाचन ) में हमको वोट्स नहीं मिलेंगे, क्योंकि अभी तक तो लोग डेमोक्रेसी ( जनतंत्र ) को समझते ही नहीं है। हम उनको समझाते तो हैं, पर हमें मालूम है कि सीखने में अभी बहुत समय लगेगा । पर क्या यह काम आसानी से हो सकता है ? जो करता है, उसे ही मालूम होता है । आपने देखा कि ट्राबंकोर में खानुकुले लीडर था । उसने इलेक्शन में लड़कर ट्रावकोर का राज्य अपने हाथों में लिया। वह वहाँ प्राइम मिनिस्टर बना। पर दो महीने भी उनकी नहीं चली और वह हटा दिया गया। दूसरा कोई आया । इसमें भलाई-बुराई की कोई बात में नहीं कह रहा । वहाँ जो हुआ, ठीक हुआ। लेकिन इस तरह से हमारे केन्द्र का कारबार चले, तो लोगों की मुसीबत आ जाए। मैं यह कहना चाहता हूँ कि अभी तो हमारा पहला कर्तव्य यह है कि हम चीजों का दाम कम करें। मैं व्यापारी लोगों से भी कहना चाहता हूँ कि उन्होंने जो पैसा बनाया, उसी से यह मुसीबतें आईं । गुमाश्ते लोग तो आज रोते हैं। उनका कर्तव्य था कि वे उस समय गवर्नमेंट को बताते कि व्यापारी लोग किस तरह टैक्स की चोरी करते हैं। वह नहीं बताया और अपने-अपने स्वार्थ में पड़ गए। तो भी मैं आपसे यही कहना चाहता हूँ कि हम सबको एक साथ मिल कर काम करना है । मैं अगर आप से नाराज हो जाऊँ तो क्या गाली दं? उससे क्या फायदा निकलेगा? मैं इस तरह से काम नहीं करता। मैं इस तरह की लीडरशिप नहीं कर सकता । मैं आपके हृदय में प्रवेश करना चाहता हूँ। क्योंकि जब तक बम्बई का ढंग नहीं बदलेगा, तब तक हिन्दुस्तान का कल्याण नहीं होगा । बम्बई के पास हिन्दोस्तान के कल्याण की चाबी है। तो बम्बई की सब जनता को मैं समझाना चाहता हूँ कि लड़ाई के परिणाम से जो अनीति हमारे भीतर घुस गई है, उसे हम हटाएँ, और गान्धी जी ने जो पवित्रता हमें दर्शाई थी, उस पर चलें। जैसे सत्याग्रह की लड़ाई के दिनों में आप ने कुर्बानी की और अपने पड़ोसियों का ख्याल रक्खा, एक दूसरे का ख्याल रक्खा, वैसा