पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१९

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भारत की एकता का निर्माण और लेबर से कहा जाए कि आपको तनख्वाह भी मिलेगी तो कौन काम करना चाहेगा ? उससे क्या फायदा हुआ? लेकिन मुल्क को इससे कितना नुकसान हुआ ? अब आप देखिए कि मजदूरों को कैसी गलत तालीम दी जाती है। अब इधर कहा जाता है, पांच तारीख को इधर भी हड़ताल करो। लेकिन कलकत्ता को इन हड़तालों का बहुत बुरा अनुभव हुआ है । आपको नहीं मालूम है एक दिन की छुट्टी मनाने में कितना नुकसान होता है और पुलिस पर कितना बोझ पड़ता है। उसमें कहीं कोई फिसाद न हो, यह पोलीस को देखना होता है । यह आपको समझना चाहिए कि उससे मजदूरों को कोई फायदा नहीं होता। फिर भी भोले-भाले लोग उसी रास्ते पर चल पड़ते हैं। वह समझते हैं कि हमारा हित इसी में है, इसलिए वे बहक जाते हैं। लेकिन उससे सब का बहुत नुकसान होता है । तो मैं आप लोगों से बड़ी अदब से प्रार्थना करना चाहता हूँ कि दो-चार साल काम करने दीजिए । हिन्दुस्तान आज जिस हालत में है, उस हालत में से वह निकल जाए, तो उसके बाद जितना जो कुछ आपको करना हो, कीजिए। लेकिन देश को कुछ ताकतवर बन जाने दीजिए । आजाद हिन्दुस्तान का तो अभी जन्म ही हुआ है। जब वह शक्तिशाली बन जाएगा, तो आपको जो कुछ करना हो कीजिएगा। लेकिन अभी वैसी बात कुछ न कीजिए। इसका मतलब यह नहीं है कि मजदूरों के साथ अन्याय किया जाए। लोग कभी-कभी मुझ पर इल्जाम भी लगाते हैं कि वह तो राजाओं का पिठू है। कुछ लोग मुझे घनिकों और जमींदारों का भी पिळू कहते हैं। मगर मैं असल में सबका पिटठ हूँ, मैं मजदूरों का भी हूँ क्योंकि मैं मजदूरों का काम भी करता हूँ। लेकिन मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि आपमें से बहुत कम लोग जानते होंगे कि जब से मैंने गान्धी जी का साथ दिया, तब से मेरे पास कोई दमड़ी भी अपनी नहीं है। तव से एक घेला भी मैंने अपना बना कर नहीं रक्खा । क्योंकि यह उनके सिद्धान्त के खिलाफ है। तो मुझे मिल- कीयत की कोई जरूरत नहीं है। हाँ, जैसे गान्धी जी भी धनिकों को समझाने की कोशिश करते हैं, वैसा ही में भी करता हूँ। धनिकों के पास से धन लेकर में उसे अच्छे काम में लगा सकता हूँ। वहीं में करता हूँ। लेकिन आजकल जो एक रवैया चल रहा है कि लीडर बनना हो तो पब्लिक मीटिंग में जाकर कैपिटलिस्ट को दो-चार गाली दे दो, नहीं तो लीडर नहीं बन सकते। वह ।