पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१९३

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१७६ भारत की एकता का निर्माण होगा। आज भी जब मैं नागपुर आया हूँ, तो भारतवर्ष की आधुनिक स्वतंत्रता को डालई का सारा इतिहास मेरे सामने आ खड़ा हुआ है । क्योंकि नागपुर में कांग्रेस का एक बहुत बड़ा वार्षिक अधिवेशन हुआ था, उसी में भारत की स्वतं- त्रता की नींव डाली गई थी। वह एक ऐतिहासिक सम्मेलन था। इसके बाद जो बनाव बने, वे सब आपके सामने बने। आज भी मेरे सामने वह चित्र आ खड़ा होता है, जब कांग्रेस की वकिंग कमेटी की बैठक हुई थी और जब पुण्य- स्मरणीय श्री जमनालाल बजाज को दो साल की सजा हुई थी। उसके बाद झंडा सत्याग्रह का काम कांग्रेस की कार्यकारिणी कमेटी ने मेरे सुपुर्द किया था। वह सारा चित्र मेरे सामने है । जो काम उसके बाद हुआ, वह आपके सामने है। उसके इतिहास में मैं जाना नहीं चाहता, लेकिन जितनी वा उसमें से फलित हुई हैं, उनके सम्बन्ध में आपका ध्यान ज़रूर खींचना चाहता हूँ। आज आजादी तो हम लोगों को मिल गई, लेकिन उस आजादी की योग्यता हममें है, इसके बारे में मुझे उसी तरह शंका है, जिस तरह उपाधिदान के सम्बन्ध में है । जो आजादी हिन्दुस्तान को मिली है, उसकी हिन्दुस्तान में कितनी योग्यता है, इसके बारे में हम सबको सोचना चाहिए । आज हमारे यहाँ सब लोग अपेक्षा करते हैं कि आजादी मिल गई, तो इसका मतलब है कि सब चीज़ हो गई। और अव भला-बुरा जो कुछ भी हो, उसका उत्तरदायित्व सरकार के ऊपर डाल देना चाहते हैं। भला करे तो वहीं, बुरा करे तो वही । उसी की सब जिम्मेवारी है । लोग समझते हैं कि हमारा काम अब समाप्त हो गया । उदाहरण के लिए ऐसा समझ लें कि आपने पदवी-दान मुझे दी, उसे मैंने स्वीकार कर लिया, और अब मुझे अपनी योग्यता के बारे में कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं रह गई ! आज़ाद होकर आज हमें अपने भविष्य की ओर ध्यान देना है । ऐसा न करेंगे, तो यह बहुत बुरी बात होगी । यही आपको भी सोचना है। आजाद तो हम कुर्बानी से हुए है। जो लोग कुर्बानी करने वाले थे, उन्होंने तो खाली कुर्बानी का फल चाट लिया। लेकिन जो आजादी का फल है, वह देश भर को मिलना चाहिए । वह किस तरह मिले, यही रात दिन सोचने की बात है। पिछली लड़ाई में और उसके बाद से दुनिया में सब जगह कमोबेश नैतिक स्टैण्डर्ड गिर गए या टूट गए । किसी एक मुल्क में ही नहीं, कमोवेश सभी मुल्कों में; कहीं ज्यादा और कहीं कम । छोटे-मोटे स्वार्थों में अधिकांश लोग पड़ गए।