पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१७८ भारत की एकता का निर्माण 'तपश्चर्या से हिन्दुस्तान को आजादी दिलवाई थी, लेकिन उस समय के लोग इतने नालायक थे कि उसे हज़म नहीं कर सके । इस चीज को हमें और आपको सोचना है। जो विद्यार्थी भविष्य में देश के नागरिक बननेवाले हैं और जो युवक आज देश के नागरिक हैं, उन दोनों को एक बात में बड़ी अदब से समझाना चाहता हूँ । वह यह कि हमारा मुल्क आज़ाद तो हुआ है, लेकिन उसका पैर अभी तक जैसे सोया हुआ है । हमारे देश में बहुत सी घटनाएँ घटी हैं। एक साल में बहुत मुसीवत से हम अपने पैरों पर खड़े हुए हैं। लेकिन हमारे पैर अभी तक मजबूत नहीं हुए । बेपरवाही से हम गिर जाएंगे। इसलिए अब किसी फन्दे में हमें नहीं पड़ना है। एक ही चीज़ पर हमें अपनी दृष्टि स्थिर करके बैठना है। वह चीज़ क्या है? वह यह कि हमारा मुल्क किस तरह से शक्तिवान बनेगा, किस तरह मजबूत बनेगा ? आप जानते हैं कि हमारा मुल्क तभी ताकतवान बन सकता है, जब कि हमारा दिल साफ हो। हम जितने भी भारत के निबासी हैं, वे सब समझ जाएं कि उन सबका भारत के प्रति क्या ऋण है, क्या धर्म है। तभी भारत मजबूत बन सकता है । हम पर जो परदेसी सल्तनत इधर थी, वह तो चली गई। हम भी चाहते थे कि वह चली जाए। यह बहुत ठीक हुआ, अच्छा हुआ। हम पर जो भारी बोझ था, वह हट गया। वह बोझ तो हट गया, मगर तब हमारी हालत ऐसी नहीं थी, हमारे पास कोई ऐसा तन्त्र नहीं था कि जो हिन्दुस्तान का सारा बोझ अनुभव के साथ उठा सकता। परदेसी राज्य में जो तन्त्र चलता था, वह तो टूट गया । और वह हमारे काम का रह भी नहीं गया था। लेकिन उसकी जगह पर दूसरा तन्त्र बनाना, यह कोई एक दिन का काम नहीं था। उसके लिए तो बहुत समय लगेगा। यह बोझ उठाने के लिए, स्वतन्त्र भारत का बोझ उठाने के लिए, जिन पर बोझ पड़ने वाला है, उनको बहुत ठीक ढंग से और अच्छी तालीम लेनी पड़ेगी । यह तालीम कुछ तो हमारे विद्यापीठ में मिलेगी, और कुछ सृष्टि के महान और खुले विद्यापीठ में । यह आसान चीज़ नहीं है। इसमें समय लगेगा। लेकिन उतने समय तक सब लोगों को बहुत सावधान रहने की जरूरत है । आपकी विद्यापीठों से जो स्नातक निकलते हैं, उनको भी सावधान रहने की जरूरत है। जो शिक्षा देनेवाले आचार्यगण हैं, उनको भी सावधान रहने की जरूरत है,