पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२००

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नागपुर विद्यापीठ १८१ लड़ना है ? अगर ऐसा हुआ तो समझ लो कि सब फूटनेबाला है। तब आपके पास कोई चीज रहनेवाली नहीं है । आपस में लड़ने से बढ़कर अधिक बुरी और कोई बात नहीं सकती । अपने देश का पुराना इतिहास देखिए । क्यों हमें इतने साल तक गुलामी उठानी पड़ी? इसी कारण कि हम आपस में लड़ते थे। आज तो हमारे राजा-महाराजा भी समझ गए हैं कि हमारी रक्षा और हमारी इज्जत भारत की एकता में है। तो यह बात आप क्यों न समझे ? कौन-सी चीज़ ऐसी है, जिसके लिए अब आपको मापस में लड़ना है ? अब परदेसी के साथ तो आपको लड़ना है नहीं। अब तो जिसके पास राज्य की बागडोर है, उसके ऊपर वह काम छोड़ दीजिए । हमारे किसी बोर्डर (सीमा) से अगर हमें कोई खतरा जाए, तब तो हमें लड़ना ही पड़ेगा। वह खतरा जितना है, वह हमारे ख्याल में है। उसके ऊपर जितनी जरूरत है, उतना ख्याल हम रखेंगे। उस सम्बन्ध में आपको सोचने की ज़रूरत नहीं है। आपको ज्यादा खतरा जिस चीज में है, वह आपको सोचने की जरूरत है। अगर देश में आपस में फूट होगी, एकता न होगी तो बहुत बड़ा खतरा है। जितना जहर ५, ७ साल से था, वह अब फूट गया । उसमें से मवाद निकल गया। अब वह चीज भूल जानी चाहिए। उसके ऊपर अब परदा डाल देना चाहिए। जिसको इधर रहना पसन्द नहीं है, वह यहाँ से चला जाए। लेकिन जितने इधर रहते हैं, वे अब एक कुटुम्ब में हैं और इसी तरह से उनको रहना पड़ेगा। हो सकता है कि हमारे यहाँ अभी तक कोई ऐसा हो, जिसका दिल अभी इधर ठीक नहीं हो। वह यहाँ से चला जाएगा। वह यहाँ रह ही नहीं सकता। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि जो बाकी हिन्दुस्तान पड़ा है, वह तभी मजबूत बनेगा, कि जब आप यह समझ लें कि हम सब हिन्दुस्तानी हैं। लेकिन हमारी आजादी का एक साल भी नहीं हुआ, कि हम समझने लगे कि हम महाराष्ट्रियन हैं, हम गुजराती हैं, हम बंगाली है, हम मद्रासी हैं, हम बरारी हैं, और हमारे भाषावार अलग-अलग टुकड़े होना चाहिए, तो फिर कैसे चलेगा? एक तरफ हम कोशिश करते हैं कि हम सारे भारत- वर्ष को एक कर दें। दूसरी तरफ हम कोशिश करने लगें कि हमारे अलग- अलग टुकड़े हो जाएँ! यह रास्ता तो राष्ट्रीयता को खून करने का है। उसमें से देश भर में जहर फैलेगा।