पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२०२

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नागपुर विद्यापीठ को मालूम भी न पड़ा था। मैं शाम को आया था और सुबह चला गया इधर राजाओं की जितनी सत्ता थी, वह सब जेब में डालकर चला गया। यह किस तरह से हुआ? राजाओं से पूछो कि उनको क्या चोट लगी है । लेकिन काम ऐसा हुआ कि उनको भी ठीक लगा और आप लोगों को भी ठीक लगा। इसी प्रकार यह काम भी हो सकता है। लेकिन यदि कहो कि बम्बई को हम बलिन बना देंगे, तो मैं यही समझंगा कि कोई नादान यह बात कर रहा है। यह कोई समझदारी की बात नहीं है । आज जब हिन्दुस्तान की आजादी एक साल की हुई है तब इस जुबान से यह बात निकलने लगे, कि आजादी क्या चीज़ है, लोग यही नहीं समझे, तो यह कितनी बुरी बात है । इसी तरह नागपुर व बरार में से बड़ा बरार बनाना हो, तो वह भी बन सकता है । लेकिन खाली नक्शे में रंग बदल देने से कोई बड़ी चीज़ न बनेगी। जैसे हमने राजाओं के पास से सारी पावर ( शक्ति ) लेकर लोगों को दे दी और उससे मैप ( नक्शे) में फर्क हुआ, वह तो ठीक है। उससे चित्र तो अच्छा लगता है । लेकिन क्या भीतर भी कोई फर्क हुआ है ? राजाओं की जो रियाया थी, उसको भी कोई फर्क मालूम पड़ा है ? वह न मालूम पड़ा हो, तो आपको समझना चाहिए कि कोई फर्क नहीं पड़ा। तब तो खाली नक्शे की शक्ल में ही फर्क हुआ है। असली फर्क तो तभी होगा, जब राजा भी महसूस करें कि यह अच्छा हुआ है और रियाया भी महसूस करे कि ठीक हुआ है। जैसे हमको आज़ादी मिली। आज हिन्दुस्तान में कोई महसूस नहीं करता है कि हम को आजादी मिली है, क्योंकि कोई फर्क नहीं पड़ा है। यह फर्क तो तभी पड़ेगा, जब हम खाली गवर्नमेंट पर देश की भलाई-बुराई का सारा बोझ डालने की आदत छोड़कर, हम सब अपनी-अपनी जिम्मेवारी महसूस करेंगे। हम समझे कि हमारा क्या धर्म है, हमें क्या करना चाहिए, किस प्रकार से हमें सरकार का साथ देना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं कि गवर्नमेंट में कोई विरोध नहीं है। इस तरह से ठीक नहीं है। परन्तु विरोध का शौक करने का समय तो तब आएगा, जब हिन्दुस्तान ताकतवर हो जाएगा । आज विरोध करने से लाभ ? आज विरोध करने से चन्द एलेक्शन ( चुनाव ) होंगे । एलेक्शन में विरोध करने वाले हार जाएँगे । कांग्रेस उसी जगह पर खड़ी रहेगी। इससे क्या फायदा होगा? हमें यह सीखने की ज़रूरत है कि आज हमारा कर्तव्य क्या है। हर