पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२०४

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( १३ ) स्टेट्स एडवाइज़री कौंसिल का उद्घाटन, नागपुर ४ नवम्बर, १९४८ प्रधान मन्त्री, महाराजाओ और अन्य सज्जनो, में मध्यप्रान्त में विद्यापीठ के आमन्त्रण पर आया था। इस मौके पर आपने एडवाइजरी कौन्सिल का इनआगुरेशन ( उद्घाटन ) मेरे हाथ से कर- वाने का निश्चय कर लिया । इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ। क्योंकि इस बारे में मैं आप लोगों को चन्द बातें कहना चाहता हूँ। ऐसा मौका बार-बार नहीं आ सकता । हिन्दुस्तान में यह जो बड़ा भारी विप्लव हुआ है, जिससे देशी रियासतों की समस्या इतने थोड़े समय में हल हो गई है। यह सब क्योंकर हुआ, किस तरह से हुआ, इसे अभी कम लोग जानते हैं। उससे क्या लाभालाभ हुए, उन सब के मूल्य आँकने में अभी समय लगेगा। उसे कम लोग जानते हैं। आप लोगों ने मुझे जो मानपत्र दिया है और इस मानपत्र में आपने मेरे काम की कदर बूझी है, इसलिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ। संक्षेप में मैं आपको बतलाना चाहता हूँ कि मेरे दिल में रियासतों को एकत्रित करने की और उन्हें हिन्दुस्तान में मिलाने की कल्पना किस तरह उद्भूत हुई, उसका ख्याल में आपके सामने रखना चाहता हूँ। जब मैंने हिन्दुस्तान सरकार के गृहमन्त्री का पद स्वीकार किया, तब मुझे कोई ख्याल न था कि इन देशी रियासतों का काम मेरे पास आनेवाला है । उनका क्या नक्शा बनेगा, यह तो जो कुछ हुआ,