पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२०७

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भारत की एकता का निर्माण लोगों ने दस्तखत कर के मेरे पास भेज दिया । खुद उनके दिल में आ गया कि हिन्दुस्तान के हित में, उनके अपने हित में, और रियासत के हित में यह चीज़ है । तभी उन्होंने दस्तखत किए । हाँ, एक बात मैंने ज़रूर कही थी कि यह चीज़ जल्द करने की है, क्योंकि मेरा काम एक ही रियासत के साथ नहीं है। मेरा तो छोटी-बड़ी सभी रियासतों के साथ काम है। मुझे यह काम जल्द पूरा करना है । अगर जल्दी यह काम नहीं हुआ, तो उसमें रुकावट डालनेवाली शक्तियाँ पड़ी हैं, वे सब काम बिगाड़ देंगी। तो ये लोग समझ गए और उन्होंने दस्तखत कर दिए। वहाँ से मैं सीधा नागपुर आया। नागपुर में भी में कोई ज्यादा ठहरा नहीं था । जो राजा-महाराजा यहाँ बैठे हैं, वे जानते हैं कि मैंने उन पर कोई दबाव नहीं डाला और न किसी प्रकार का लालच उनको दिया। ऐसा कोई काम मैने नहीं किया। खाली उनको समझाया कि यह सब क्या चीज़ है। उन लोगों ने पूरी समझपूर्वक चन्द घण्टों में अपने दस्तखत मुझे दे दिए और सुबह में चला गया। यह तो उस सारे काम की शुरुआत हुई थी। लेकिन जब यह काम हो गया, तब सारे हिन्दुस्तान में और हिन्दुस्तान के बाहर भी एक चमत्कार सा हो गया। सबको हैरानी हुई कि यह क्या हो गया। लेकिन जिन रियासतों ने दस्तखत किए थे वह तो कर दिया, लेकिन उसके बाद जो काम हुआ, उसका सारा यश यहाँ के राजा महाराजाओं को मिला, जिन्होंने समझपूर्वक जल्दी-जल्दी दस्तखत किए थे। मैंने उसमें कुछ नहीं किया। खाली मैंने उन्हें समझाया कि मेरी योजना क्या है और हिन्दुस्तान किस तरह से चलनेवाला है । (तालियाँ) आपकी सलामती भी इसी में है, हिन्दुस्तान की सलामती भी इसी में है। जिन लोगों के दिल में देशप्रेम जागृत हुआ, उन लोगों ने दस्तखत किए। उसके बाद तो आप जानते हैं कि मुझे सौराष्ट्र, जहाँ सारे हिन्दुस्तान के बराबर रिया- सतें पड़ी थीं, बल्कि उससे भी ज्यादा रियासतें वहाँ थीं, उनको मिलाने का बहुत बड़ा और विकट काम था । यह काम करने में मुझे उन लोगों से सहायता मिली, क्योंकि उन लोगों ने अच्छे समय पर शुरुआत की थी। लेकिन जिन लोगों से मैंने कोई उम्मीद नहीं रखी थी, ऐसे लोगों ने भी सौराष्ट्र में मेरा साथ दिया। यह बात ठीक है। तो करीब-करीब २५०-३०० रियासतों का एक गुट बन गया और इससे एक सौराष्ट्र का जन्म हुआ। G