पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२०८

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स्टेट्स एडवाइजरी कौंसिल का उद्घाटन, नागपुर PGE महाराष्ट्र की जितनी रियासतें थीं, उन लोगों ने तब तक अलग रहने का एक इन्तज़ाम किया था। जिसकी आधारभूत बात थी एक प्रकार का जवाब- दार राजतन्त्र अपनी प्रजा को देना, और काम चलाना । लेकिन इस सम्बन्ध में जो काम की शुरुआत हो गई थी, उसका असर महाराष्ट्र पर पड़ा और बहाँ जितने नौजवान राजा थे, वे सब मेरे पास आए और कहने लगे कि हम तो बम्बई राज्य में मिलना चाहते हैं। हम इस तरह से अलग नहीं रहना चाहते । मैंने कहा कि आपको मुबारकबाद है। उन्होंने कहा कि हम तो यह करना चाहते हैं लेकिन क्या आप हमको ऐसा करने देंगे? मैंने कहा कि क्यों नहीं? तब उन्होंने कहा कि कुछ और राजा कहते हैं कि क्योंकि उन लोगों ने कांग्रेस के साथ इस प्रकार का समझौता कर लिया है कि उन्हें अलग रहना है, तो इस प्रकार पृथक कायम रहने से उन्हें रक्षण मिलेगा । मैंने कहा कि यह बात तो गलत है । कांग्रेस ने किसी के साथ न ऐसा समझौता किया है, न कोई ऐसा बन्दोवस्त किया है और न किसी को इस प्रकार की गारण्टी दी है। तब सब राजाओं का एक डेपुटेशन आया और मैंने उनको समझाया कि यदि आप यह समझते हैं कि छोटी-छोटी रियासतें एक प्रकार अपनी प्रजा को जबाबदार राज्यतन्त्र का अधिकार देकर अपने पृथक् भविष्य को कायम रखने की गारण्टी ले लेंगी, तो आप का यह ख्याल गलत है। वह बन नहीं सकता। जबाबदार राज्यतन्त्र कोई हँसी खेल नहीं है । रेस्पांसिबिल गवर्नमेंट ( उत्तर- दायी सरकार ) का मायना यह नहीं है कि हमारे मुल्क में इस प्रकार के छोटे-छोटे टुकड़े बनाकर हम अंग्रेजों के रेस्पांसिबिल गवर्नमेंट की नकल करेंगे। बह तो हमारे मर जाने की बात हो जाएगी । इस तरह से नहीं हो सकता। यह न आपके इंटरेस्ट (हित) में है और न हमारे । आपको मिल जाना हो तो मिलो । नहीं तो भविष्य में यदि कभी आप प्रोटेक्शन (सुरक्षा) के लिए सेण्ट्रल गवर्नमेंट ( केन्द्रीय सरकार) के पास या कांग्रेस के पास आना चाहेंगे तो आपको कोई रक्षण नहीं मिलेगा। तब सेण्ट्रल गवर्नमेंट भी आपको प्रजा के सामने इस प्रकार का रक्षण नहीं देगी। क्योंकि अब बुग बदल गया है। उससे तो यही अच्छा है कि आप अपने आप ही समझ-बूझ कर किसी राज्य में शामिल हो जाओ। तब उन लोगों ने मान लिया और कहा कि आप जो कहते हैं, वही ठीक -