पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२११

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१६२ भारत की एकता का निर्माण शान भी रहती है । वहीं हमको सुख मिलेगा। इसलिए हमको प्रान्त में मिला दो। हमें अलग नहीं रहना है। उसका कारण यही है कि आप लोगों का काम बहुत अच्छा चल रहा है। आपने इस काम को आगे बढ़ाने में एक और स्टेप ( कदम) भी लिया है । यह कदम है एडवाइज़र्स बोर्ड (सलाहकार मण्डल) बनाने का । क्योंकि आज जब तक कानून में फर्क नहीं होता, तब तक दूसरा काम नहीं हो सकता। मैंने शुरू में कहा था कि कुछ लोगों को अपने साथ लेने के लिए हमें कोशिश करनी चाहिए । इस प्रकार के लोगों को हमें अपने साथ लेना चाहिए, जिन्हें काम का कुछ-कुछ अनुभव भी हो। अगर कोई लोग क्राउड (भीड़) बनाकर चिल्लाने लगे, तो उससे लोकशाही नहीं बनती है । यह बहुत जबाबदारी का काम है । तो उसको आहिस्ते से सीखना पड़ेगा । क्योंकि रियासत में जिस प्रकार का काम एक तरह से चलता था, यह दूसरे ढंग का था । एक हाथ से काम करना एक तरह से आसान भी है और एक तरह से कुछ अच्छा भी है। उससे भी ठीक काम तो चल सकता है। लेकिन उसमें लोगों का साथ न हो, तो न उससे लोगों को राहत मिलती है और न उसका फायदा ही मालूम पड़ता है। तो चाहे थोड़ा विगाड़ भी हो तो भी लोगों को उसमें लेने की कोशिश करनी चाहिए। यह एडवाइजरी बोर्ड बनाकर आप पहला कदम आगे उठाते हैं, और मेरे पास से इस काम की शुरुआत कराते हैं, तो हमारा यह कर्तव्य है कि उसका पूरा फायदा लोगों को पहुँचाएँ। इस तरह से हमें यह काम करना चाहिए। हमारी रियासतों में, और ख़ासकर मध्यप्रान्त की रियासतों में, बहुत-से लोग ऐसे हैं, जो पिछड़े हुए हैं। राजाओं-महाराजाओं की जो मर्यादा है, उनकी जितनी कदर होनी चाहिए, वह तो हमेशा होनी ही चाहिए । क्योंकि हमारे पास मुल्क का बोझ उठाने के लिए जितने आदमी चाहिए, उतने भी आदमी नहीं हैं । बहुत कम आदमी हैं। आज हमारे लोग छोटी-मोटी बातों के लिए, छोटी-मोटी जगहों के लिए लड़ते हैं। इस सब में क्या पड़ा है ? हमारे देश में इतनी जगह पड़ी है । हम पर हिन्दुस्तान का राज्य आकर पड़ा है । उसमें से परदेसी हट गए हैं। उन लोगों की वह सारी जगह हमारे पास पड़ी है। उस जगह को सम्हालने के लिए हमारे पास आदमी नहीं है। तो इसमें लड़ाई-झगड़े की क्या जरूरत है ? यदि लोग लायक बन जाएं, तो काम करने के लिए इतना बड़ा मैदान चारों तरफ