पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२१५

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( १४ ) भारत में बने दूसरे जहाज का जल-प्रवेश दिल्ली, २० जनवरी, १९४८ सिन्धिया कम्पनी के डाइरेक्टर गण तथा नारियो और गृहस्थो, मुझे बड़ी खुशी होती अगर मैं खुद विजगापत्तन के यार्ड पर पहुंच गया होता । लेकिन मेरी शारीरिक अवस्था देख कर सिन्धिया कम्पनी ने जो यह प्रबन्ध करने की मेहरबानी की, इसके लिए मैं उनके प्रति आभार प्रदर्शित करना चाहता हूँ। कुछ कुदरत के हाथ की बात है कि जहाज पानी में तभी जा सकता है कि जब उसके योग्य मिनिट या समय आ जाए । तो वहाँ से जब तक म को सिगनल नहीं मिलता है, तब तक यह बटन दबाने का काम में नहीं कर सकता । इसलिए आप लोगों का और मेरा समय व्यर्थ न जाए, इस इच्छा से, मुझे जो कुछ कहना है, वह मैं पहले ही कह देना चाहता हूँ। इस रस्म में हिस्सा लेने का मुझको मौका दिया, इसके लिए मैं सिन्धिया कम्पनी को धन्यवाद देना चाहता हूँ। मेरा और सिन्धिया कम्पनी का परिचय बहुत दिनों का है, यहाँ मैं उसकी याद दिलाना चाहता हूँ। सिन्धिया कम्पनी ने जो काम किया है, वह काम बहुत कम लोगों को मालूम है । यहाँ जब पिछली परदेसी हुकूमत थी, उसके

  • इस जहाज का जल-प्रवेश सरदार पटेल ने दिल्ली बैठे-बैठे ही किया

था । बटन दबाते ही जहाज पानी में उतर गया था।