पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१६६ भारत की एकता का निर्माण भी यहां बैठे हैं, उनकी सहानुभूति और उसकी सम्मति न हो, तो गवर्नमेंट की तरफ से किसी को कोई वायदा देना बड़ी मुसीबत हो जाती है और दें भी, तो भी सफल वही होता है, जिसमें सबकी सहमति हो। जब हमारे प्रधान मन्त्री ने पिछले साल आपको भरोसा दिया था, तो मेरी भी हिम्मत चलती है कि जो कुछ इशारा आपने किया है, उसके सम्बन्ध में यह कहूँ कि उस पर हम लोग बहुत सहानुभूति से और जितना हो सके उतना जल्दी, उसका फैसला करेंगे । क्योंकि हम जानते हैं कि जो बागबटा का काम है, शिपिंग इण्डस्ट्रीज का काम है, वह सबसे बड़ा ज़रूरी काम है और इसीलिए गवर्नमेंट ने पिछले अप्रैल में एलान किया है, कि यह एक ऐसी इण्डस्ट्री है, जिसे गवर्नमेंट अपने हाथ में लेना चाहती है । और अगर सरकार ने अपने हाथ में ले लिया तो भी जो काम सिन्धिया कम्पनी ने किया है, जो योजना सिन्धिया कम्पनी ने बनाई उसको वह अच्छी तरह से आगे बढ़ाना चाहती है। उसे आगे बढ़ाने में सिन्धिया कम्पनी का भी साथ लेना है । और हम कुछ भी काम करें, शिपिंग इण्डस्ड्री में गवर्नमेंट और सिन्धिया कम्पनी की एक दूसरे की सहायता और परस्पर सहयोग के बिना यह उद्योग आगे चलनेवाला नहीं है । उनका जो अनुभव है, उसका हम पूरा फायदा उठाना चाहते हैं। हमारा और उनका सहयोग प्राप्त कर मुल्क को फायदा देना यही हमारी इच्छा है । आप भी यही चाहते हैं और हम भी यही चाहते हैं। अब जो लड़ाइयाँ आपने लड़ा, बड़ी सफलता और बड़ी कुशलता से लड़ी। इसलिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ। उसका सबूत तो पिछले साल उसी समय मिल गया था, जब प्रधान मन्त्री ने अपना पहला जहाज़ पानी में उतारा था। बहुत दिन नहीं हुए, जब विदेशी वेस्टिड इन्टरेस्टों ( विदेशी हितों) ने, हमारे मुल्क में, बहुत समय से पैर जमा कर बैठी हुई विदेशी सरकार की मदद से, हमारे इस उद्योग को रोकने की और इसे रौंदने की काफी कोशिश की थी। वालचन्द भाई ने मुझे मेरा वह भाषण याद दिलाया, जो आज से दस साल पहले सिन्धिया हाउस की ओपनिंग सेरिमनी ( उद्घाटन समारोह ) करते हुए, मैंने दिया था। आज आप की यह उन्नति देखकर मुझे बड़ी खुशी होती है । तब मैंने जो कुछ कहा था, वह सम्पूर्ण सही निकला है । आज हिन्दुस्तान की सरकार पर वह धब्बा नहीं है, जिसकी उसने याद दिलाई है। तो सिन्धिया कम्पनी ने अपने सीधे रास्ते पर खड़े रह कर , सीधे मार्ग पर चलने की कोशिश