पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२१८

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, जहाज का जल-प्रवेश PEL की, उसमें जो रुकावटें थीं वे सब निकल गई। मुझे उम्मीद है कि अब उनके रास्ते में कोई ऐसी रुकावट नहीं आएगी, जिससे आगे की प्रगति अटकानी पड़े। इस मौके पर मुझे कुछ ज्यादा कहने को नहीं है। लेकिन आखिरी धन्य- वाद से पहले मैं उन मज़दूरों, कारीगरों और स्टाफ के लोगों से, जिन लोगों की तरफ से मुझको मानपत्र दिया गया है, दो शब्द कहना चाहता हूँ। मैंने इसका भी डर नहीं रखा है कि मुझे कोई गैर समझेगा, और इसकी मुझे परवाह भी नहीं है । लेकिन बड़ी मुहब्बत से हर मौके पर मैंने मजदूरों को सावधान किया है और साफ-साफ बात की है ? क्योंकि जो साफ बात कहता है, वही अपना सच्चा हितकर है, यह हमें समझना चाहिए। तो मुझे मजदूरों की तरफ़ से जो मानपत्र दिया गया है, उसके लिए मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूँ। लेकिन में बड़े प्रेम से एक सलाह भी उन्हें देना चाहता हूँ कि यदि कुंएं में पानी नहीं होगा, तो हमारे गुजरात में एक कहावत है कि, जो हमारा 'व्वारा' यानी चौबच्चा है ( जिसमें से जानवर पानी पीते हैं ) में भी पानी नहीं आएगा । तो हमारा प्रथम कर्तव्य यह है कि जिस इण्डस्ट्री के साथ हमारा पाला पड़ा है, जिससे हमें रोटी पैदा करनी है, उस इण्डस्ट्री को किसी भी तरह से चोट न लगे, उसका किसी तरह से बिगाड़ न हो । इतना सँभाल के जितना मांग सकते हैं, उतना मांगना चाहिए। वह हमारा हक है । और उस हक के लेने-देने में अगर ज्यादा-से-ज्यादा मदद आज कोई गवर्नमेंट कर सकती है, तो कांग्रेस गवर्नमेंट ही कर सकती है। क्योंकि हिन्दुस्तान की आजादी की लड़ाई में मजदूरों ने जो साथ दिया है, उसको हम कभी भूल नहीं सकते हैं। और आखिर आजादी की लड़ाई लड़ कर हिन्दुस्तान की आज़ादी लेने का हमारा उद्देश्य क्या था ? जब हमारे मुल्क में गरीव-से-गरीब लोगों को, जो मजदूरी करते हैं, मेहनत करते हैं, और पसीना बहा कर अपनी रोटी पैदा करते हैं, आजादी का स्वाद न मिले, तब तक आजादी का कोई मतलब नहीं, कोई फल नहीं। हमेशा हमारी यही कोशिश रहेगी कि आपको ज्यादा-से-ज्यादा मिले। लेकिन ऐसी गलती कभी न करना, जैसा बार-बार और जगह-जगह पर किया जाता है। आपके यहाँ भी दो-तीन महीने की एक स्ट्राइक हुई थी, ऐसा मुझे स्मरण है। उसमें लाखों रुपये का नुकसान हुआ था। चाहे एम्प्लायर्स (मालिक) की गलती हो और चाहे हमारी गलती हो, हमें ऐसी जिद कभी नहीं करनी चाहिए, जिससे देश का नुकसान हो। जैसा महात्मा गान्धी जी ने पहले से