पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२१९

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१६८ भारत की एकता का निर्माण अहमदाबाद के मजदूरों से मंजूर करवाया था, उसी तरह अपने झगड़ों का फैसला हमें पंचायत से करना है। वहीं सबसे अच्छा तरीका है और आज अपनी सरकार से बढ़कर कौन पंचायत आप लोगों के हित में सबसे अच्छी होगी? यह तो आप की अपनी सरकार है। आज मजदूरों को सलाह देनेवाले बहुत लोग ऐसे हैं, जो अपनी नेतागिरी के लिए ज्यादा-से-ज्यादा मांग करवाते हैं और फिर फसाद करवाते हैं। आपके सच्चे सेवक की हैसियत से मैं कहता हूँ कि आपने मुझे जो मानपत्र दिया है, वह अगर सही हो, वह अगर दिल से हो, तो मेरी बात पर अच्छी तरह सोचिए और अपनी सरकार की, अपने लोगों की और अपने मुल्क की सहानुभूति कभी न गमाइए । अगर आप जनता के हित को भी सामने रखकर अपना काम करेंगे तो आपका हमारा साथ हमेशा रहेगा। अब मुझे आपका ज्यादा समय नहीं लेना है। आज जो अपने मुल्क में यह दूसरा जहाज़ बना है, उसकी जल-प्रवेश-विधि करने का, इस रस्म में हिस्सा लेने का जो मौका आपने मुझे दिया, उसके लिए मैं आपको, सिन्धिया कम्पनी को और वालचन्द भाई को मुबारकबाद देना चाहता हूं, धन्यवाद देना चाहता हूँ। मैं उम्मीद और प्रार्थना करता हूँ कि ये जहाज़ और इनके साथ जिनका कभी भी सम्बन्ध होगा, वे सब सुखी हों और आबाद हों। ऐसे नए- नए जहाज विजगापत्तन की गोदी में बहुत से बनें और जल्दी-जल्दी बनें, ऐसी उम्मीद भी हम रखते हैं। ये सब जहाज दुनिया के और देशों की बन्दरगाहों में पहुँचें और झंडे की इज्जत बड़ाएँ, क्योंकि वह हमारे देश का झंडा है। हर जगह पर बे अपना नाम और अपनी कीर्ति कायम रखें । इतना कह कर मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ और आप सबसे भी चाहता हूँ कि आप सब भी यही प्रार्थना करें कि हमारा यह नया जहाज हिन्दुस्तान के बाहर सब मुल्कों के वन्दरगाहों में हिन्दुस्तान की इज्जत बढ़ाए और अपनी भी इज्जत बढ़ाए। जयहिन्द ! +